Book Title: Yugveer Nibandhavali Part 01
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 411
________________ ३६४ युगवीर- निबन्धावलो दो, जिससे इसमे कोई तोड-जोड या बदल-सदल न हो सके और यदि हो तो उसका शीघ्र पता चलजाय ।' विद्यार्थीने दोनो श्रोर दो फूलकेसे चिन्ह बना दिये । फिर प्रध्यापकजीने कहा 'फुटा रखकर इसकी पैमाइश भी करलो और वह इसके ऊपर लिखदो ।' विद्यार्थीने फुटा रखकर पैमाइश की तो लाइन ठीक तीन इचकी निकली और वही लाइनके ऊपर लिख दिया गया । . इसके बाद प्रध्यापकजीने बोर्ड - ३ इच पर एक ओर कपडा डालकर कहा 'अब हम पहले इस लाइनको छोटी बनाते है और छोटी होनेका मत्र बोलते है ।' साथ ही, कपडेको एक ओर से उठा कर 'होजा छोटी, होजा छोटी ।" का मंत्र बोलते हुए वे बोर्ड पर कुछ बनाने - को ही थे कि इतने विद्यार्थी बोल उठे- 'आप तो पर्देकी प्रोटमे लाइनको छूते हैं। पर्देको हटाकर सबके सामने इसे छोटा कीजिये ।' श्रध्यापकजीने बोर्ड पर डाला हुआ कपड़ा हटाकर कहा'अच्छा, अब हम इसे खुले ग्राम छोटा किये देते हैं और किसी मत्रका भी कोई सहारा नही लेते । यह कह कर उन्होने उस तीनइची लाइनके ऊपर पाँच - इचकी लाइन बनादी और विद्यार्थियो पूछा ५ इच ३ इच - 'कहो, तुम्हारी मार्क की हुई नीचेकी लाइन ऊपरकी लाइन से छोटी है या कि नही ? श्रौर बिना किसी प्रशके मिटाए या तोडे अपने तीन इचके स्वरूपमे स्थिर रहते हुए भी छोटी हो गई है या कि नही ?"

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