Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीभगवत्य श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-३ // 1473 // 25 शतके उद्देशक:४ सूत्रम् 744-745 परमाण्वादीनां सैजत्वादि |धर्मादिमध्य। प्रदेशा: असंखेजप० अणंतप० यखंधाणं देसेयाणंसव्वेयाणं निरेयाणं दव्व० पएस० दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे 2 जाव विसे० वा?, गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपएसिया खंधा सव्वेया दव्व० 1 अणंतप० खंधा निरेया दव्व० अणंतगुणा 2 अणंतप० खंधा देसेया दव्व० अणंतगुणा 3 असंखेजप० खंधा सव्वेया दव्व० असंखेनगुणा 4 संखेजप० खंधा सव्वेया दव्व० असंखे०५ परमाणुपो० सव्वेया दव्व० असंखे०६ संखेजपएसिया खंधा देसेया दव्व० असंखे०७ असंखेजप० खंधा देसेया दव्व० असंखे०८ परमाणुपो० निरेया दव्व० असंखे०९संखेजप० खंधा निरेया दव्व० संखे०१० असंखेजपएसिया खंधा निरेया दव्व० असंखिज्जगुणा 11, एवं पएस०वि नवरं परमाणुपो० अपएस० भाणियव्वा संखिजप० खंधा निरेया पएस० असंखि० सेसंतंचेव, दव्वट्ठपएसट्ठयाए सव्वत्थोवा अणंतप० खंधा सव्वेया दव्व०१ ते चेव पएस० अणंतगुणा 2 अणंतपएसिया खंधा निरेया दव्व० अणंतगुणा 3 ते चेव पएस० अनंतगुणा 4 अणंतप० खंधा देसेया दव्व० अणंतगुणा 5 ते चेव पएस० अणंतगुणा 6 असंखिज्जप० खंधा सव्वेया दव्व० अणंतगुणा 7 ते चेव पएस० असंखे०८ संखिजप० खंधा सव्वेया दव्व० असंखे०९ ते चेव पएस० असंखे०१० परमाणुपो० सव्वेया दव्वट्ठअपएसट्ठयाए असंखे०११ संखेजप० खंधा देसेया दव्व० असंखे०१२ ते चेव पएसट्ठयाए असंखे०१३ असंखेज्जपएसिया खंधा देसेया दव्व० असंखे०१४ ते चेव पएस० असंखे०१५ परमाणुपो० निरेया दव्वट्ठअपदेसट्ठयाए असंखे०१६ संखेजपएसिया खंधा निरेया दव्व० संखेजगुणा 17 ते चेव पएस. संखे०१८ असंखेज्जपएसिया निरेया दव्व० असंखे०१९ ते चेव पएस० असंखे०२०॥ सूत्रम् 744 // 129 कति णं भंते! धम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पन्नत्ता?, गोयमा! अट्ठ धम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा पन्नत्ता / 130 कति णं भंते! अधम्मत्थिकायस्स मज्झपएसा प०, एवं चेव, 131 कतिणं भंते! आगासत्थिकायस्स मज्झपएसा प०, एवं चेव / 132 कति णं भंते! जीवत्थिकायस्स मज्झपएसा प०, गोयमा! अट्ठजीवत्थिकायस्स मज्झपएसा प०,१३३ एएणंभंते! अट्ठ जीवस्थिकायस्स // 1473 //
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