Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय. वृत्तियुतम् भाग-३ // 1583 // 31 शतके उद्देशकः 1-28 सूत्रम् 829-841 क्षुल्लकयुग्मादीनामुत्पादः जुम्मेसु नवरंपरिमाणं जाणियव्वं, परिमाणं जहा कण्हलेस्सउद्देसए। सेसं तहेव / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 831 // 31-3 // १काउलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उववखंति?, एवं जहेव कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्म० नवरं उववाओ जो रयणप्पभाए सेसंतंचेव।२ रयणप्पभापुढविकाउलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइयाणंभंते! कओउवव०?,एवं चेव, एवं सक्करप्पभाएवि, एवं वालुयप्पभाएवि, एवं चउसुवि जुम्मेसु, नवरं परिमाणं जाणियव्वं, परिमाणं जहा कण्हलेस्सउद्देसए सेसंतंचेव सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 832 // 31-4 // १भवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मनेरइयाणं भंते! कओ उवव०?, किंनेरइए०?, एवं जहेव ओहिओगमओ तहेव निरवसेसंजाव नो परप्पयोगेणं उवव०।२ रयणप्पभापुढविभवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मनेरइया णंभंते! एवं चेव निरवसेसं, एवंजाव अहेसत्तमाए, एवं भवसिद्धियखुड्डागतेयोगनेरइयावि एवं जाव कलियोगत्ति, नवरंपरिमाणंजाणियव्वं, परिमाणं पुव्वभणियं जहा पढमुद्देसए। सेवं भंते! रत्ति ॥सूत्रम् 833 // 31-5 // १कण्हलेस्सभवसिद्धियखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते! कओ उव०?, एवं जहेव ओहिओ कण्हलेस्सउद्देसओतहेव निरवसेसं चउसुविजुम्मेसुभाणियव्वोजाव अहे सत्तमपुढविकण्हलेस्सखुड्डागकलियोगनेरइया णं भंते! कओ उववजंति?, तहेव / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 834 // 31-6 // १नीललेस्सभवसिद्धिया चउसुविजुम्मेसुतहेव भाणियव्वा जहा ओहिए नीललेस्सउद्देसए / सेवं भंते! 2 जाव विहरइ / / सूत्रम् 835 // 31-7 // 2 काउलेस्साभवसिद्धिया चउसुवि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिए काउलेस्सउद्देसए। सेवं भंते! 2 जाव विहरइ॥ // 1583 //
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