Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 540
________________ श्रीभगवत्य श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1618 // 35 शतके उद्देशकः 2-11 सूत्रम् 859 कृष्णलेश्यकेन्द्रियादि कृतयुग्मैकेन्द्रियाश्चेति विग्रहः, उद्देशकानांस्वरूपनिर्धारणायाह पढमो तइओ पंचमो यसरिसगमय त्ति, कथं?, यतः प्रथमापेक्षया द्वितीये यानि नानात्वान्यवगाहनादीनि दश भवन्ति न तान्येतेष्विति, सेसा अट्ठसरिसगमग त्ति, द्वितीयचतुर्थषष्ठादयः परस्परेण सदृशगमाः- पूर्वोक्तेभ्यो विलक्षणगमा-द्वितीयसमानगमा इत्यर्थः, विशेषं त्वाह नवरं चउत्थे इत्यादि॥९॥॥३५-११॥ कृष्णलेश्याशते १कण्हलेस्सकडजुम्मेरएगिदियाणं भंते! कओ उववजंति?,गोयमा! उववाओ तहेव एवं जहा ओहिउद्देसए नवरं इमंनाणत्तं ते णं भंते! जीवा कण्हलेस्सा?, हंता कण्हलेस्सा, 2 ते णं भंते! कण्हलेस्सकडजुम्मरएगिदियेत्ति कालओ केवच्चिर होइ?, गोयमा! जहन्नेणं एवं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं, एवं ठितीएवि, सेसंतहेव जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलसवि जुम्मा भाणियव्वा / सेवं भंते! रत्ति // 2-1 // 3 पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मरएगिदिया णं भंते! कओ उवव०?, जहा पढमसमयउद्देसओ नवरं ते णं भंते! जीवा कण्हलेस्सा?, हंता कण्हलेस्सा, सेसंतं चेव / सेवं भंते रत्ति // 2-2 // एवं जहा ओहियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहा कण्हलेस्ससएवि एक्कारस उद्दे० भा०, पढमो तइओ पंचमो य सरिसगमा सेसा अट्ठवि सरिसगमा नवरं चउत्थछट्ठअट्ठमदसमेसु उववाओनत्थि देवस्स।सेवं भंते! रत्ति॥॥३५ सए बितियं एगिदियमहाजुम्मसयंसम्मत्तं ॥एवं नीललेस्सेहिवि सयंकण्हलेस्ससयसरिसं एक्कारस उद्देसगा तहेव / सेवं भंते! रत्ति ॥ततियं एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं // एवं काउलेस्सेहिवि सयंकण्हलेस्ससयसरिसं। सेवं भंते!त्ति / / चउत्थं एगिदियमहाजुम्मसयं ॥१भवसि०कडजुम्मरएगिदिया णं भंते! कओ उवव०?, जहा ओहियसयं तहेव नवरं एक्कारससुवि उद्देसएसु, अह भंते! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता भवसि०कडजुम्मरएगिदियत्ताए उववन्नपुव्वा?, गोयमा! णो इणटेसमटे, सेसं तहेव / सेवं भंते! रत्ति ॥पंचमं एगिदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥५॥१कण्हलेस्सभवसि०कडजुम्मरएगिदिया णं // 1618 //

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