Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

View full book text
Previous | Next

Page 542
________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1620 // 36-39 शतके सूत्रम् 860-863 द्वीन्द्रियतः असंज्ञिपञ्चेन्द्रियाः ॥अथ षट्विंशशतकादेकोनचत्वारिंशंशतकम् // पञ्चत्रिंशे शते सङ्ख्यापदैरेकेन्द्रियाः प्ररूपिताः, षट्त्रिंशे तु तैरेव द्वीन्द्रियाः प्ररूपन्यत इत्येवंसम्बन्धस्यास्येदमादिसूत्रं १कडजुम्मरबेंदिया णं भंते! कओउववखंति?, उववाओ जहा वक्कंतीए, परिमाणं सोलसवा संखेज्जा वा उवव० असंखेज्जा वा उवव०, अवहारोजहा उप्पलुद्देसए, ओगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणंबारस जोयणाई, एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमुद्देसए तहेव नवरं तिन्नि लेस्साओ देवा न उवव० सम्मदिट्ठीवा मिच्छादिट्ठीवानोसम्मामिच्छादिट्ठी नाणी वा अन्नाणी वानोमणयोगी वययोगी वा कायजोगीवा, तेणं भंते! 2 कडजुम्मरबेंदिया कालओ केव०?, गोयमा!ज० एक्कं समयं, उ० संखेचं कालं ठिती ज० एक्वं समयं, उ० बारस संवच्छराई, आहारो नियम छद्दिसिं, तिन्नि समुग्धाया सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो, एवं सोलससुवि जुम्मेसु / सेवं भंते! रत्ति ॥बेंदियमहाजुम्मसए पढमो उद्देसओ सम्मत्तो ॥३६-१॥१पढमसमयकडजुम्मरबेंदिया णं भंते! कओ उवव०?,एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमसमयउद्देसए दस नाणत्ताईताइंचेव दस इहवि, एक्कारसमं इमं नाणत्तंनो मणयोगी नो वइयोगी काययोगी सेसं जहा बेंदियाणं चेव पढमुद्देसए। सेवं भंते! रत्ति // एवं एएवि जहा एगिदियमहाजुम्मेसु एक्कारस उद्देसगा तहेव भा० नवरं चउत्थछटुंअट्ठमदसमेसुसम्मत्तनाणाणि न भवंति, जहेव एगिदिएसु पढमोतइओपंचमोएक्कगमा सेसा अट्ठ एक्कगमा। पढमं बेइंदियमहाजुम्मसयं सम्मत्तं ॥१॥१कण्हलेस्सकडजुम्मरबेइंदिया णं भंते! कओ उववजंति ?, एवं चेव कण्हलेस्सेसुवि एक्कारसउद्देसगसंजुत्तं सयं, नवरं लेस्सा संचिट्ठणा ठिती जहा एगिदियकण्हलेस्साणं / बितियंबेंदियसयंसम्मत्तं // २॥एवं नीललेस्सेहिवि सयं / ततियं सयं सम्मत्तं // 3 // एवं काउलेस्सेहिवि, सयं 4 सम्मत्तं ॥१भवसिद्धियकडजुम्मरबेइंदिया णं 3 // 1620 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562