Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 558
________________ अन्त्यमङ्गलम्। श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1636 // णमोगोयमाईणं गणहराणं, णमो भगवईए विवाहपन्नत्तीए, णमो दुवालसंगस्स गणिपिडगस्स // (कुसुम) कुम्मसुसंठियचलणा, अमलियकोरंटबेंटसंकासा / सुयदेवया भगवई मम मतितिमिरं पणासेउ // 1 // पन्नत्तीए आइमाणं अट्ठण्हं सयाणं दो दो उद्देसगा उद्दिसिजन्ति णवरं चउत्थे सए पढमदिवसे अट्ठ बितियदिवसे दो उद्देसगा। उद्दिसिज्जंति, नवरं नवमाओ सताओ आरद्धं जावइयं जावइयं एति तावतियं 2 एगदिवसेणं उद्दिसिजंति उक्कोसेणं सतंपि। एगदिवसेणं मज्झिमेणं दोहिं दिवसेहिंसतं जहन्नेणं तिहिं दिवसेहिं सतं एवं जाव वीसतिमं सतं, णवरंगोसालो एगदिवसेणं उद्दिसिजति जदिठियो एगेण चेव आयंबिलेणं अणुन्नज्जिहीति अहण ठितो आयंबिलेणं छटेणं अणुण्णवति, एकवीसबावीसतेवीसतिमाई सताई एक्केक्कदिवसेणं उद्दिसिजन्ति, चउवीसतिमं सयं दोहिं दिवसेहिं छ छ उद्देसगा, पंचविसतिमं दोहिं दिवसेहिं छ छ उद्देसगा, बंधिसयाइ अट्ठसयाई एगेणं दिवसेणं सेढिसयाइंबारस एगेणं एगिदियमहाजुम्मसयाईबारस एगेणं एवं बेंदियाणं बारस तेइंदियाणं बारस चउरिंदियाणं बारस एगेण असन्निपंचिंदियाणं बारस सन्निपंचिंदियमहाजुम्मसयाई एकवीसं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जन्ति रासीजुम्मसतं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जति॥ वियसियअरविंदकरा नासियतिमिरा सुयाहिया देवी। मझंपि देउ मेहं बुहविबुहणमंसिया णिच्चं // 1 // सुयदेवयाएँ पणमिमो जीए पसाएण सिक्खियं नाणं / अण्णं पवयणदेवी संतिकरीतं नमसामि॥१॥ ॥इति श्रीभगवतीसूत्रं सम्पूर्णम् / / //

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