Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 518
________________ 34 शतके उद्देशकः१ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभयः वृत्तियुतम् भाग-३ // 1596 // सूत्रम् 850 एकेन्द्रिय विग्रहादि समोहणावेयव्वावि 240, वाउक्काइया वणकाइया य जहा पु०काइया तहेव चउक्कएणं भेदेणं उवव्यव्वा जाव पज्जत्ता 400 // 9 बायरवण काइएणंभंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंतेसमोहए रत्ताजे भविएइमीसे रयण पुढवीए पच्चच्छिमिल्ले चरिमंते पज्जत्तबायरवणकाइयत्ताए उवात्तए सेणं भंते! कतिसम० सेसं तहेव जाव से तेणटेणं०,१० अपज्जत्तसुहमपु०काइएसुणं भंते! इमीसे रयण पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए इमीसे रयण पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तसुहुमपु०काइयत्ताए उव०त्तए से णं भंते ! कइसमएणं?, सेसं तहेव निरवसेसं , एवं जहेव पुरच्छिमिल्ले चरिमंते सव्वपदेसुवि समोहया पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया जे य समयखेत्ते समोहया पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया एवं एएणं चेव कमेणं पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उवल्यव्वा तेणेव गमएणं, एवं एएणंगमएणंदाहिणिल्ले चरिमंतेसमोहयाणं उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाओ एवं चेव उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते यसमोहया दाहिणिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं, 11 अपज्जत्तसुहुमपु०काइएणं भंते! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए 2 जे भविए सक्कर० पुढवीए पञ्चच्छिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तसुहुमपु०काइयत्ताए उववज्जइ एवं जहेव रयणप्पभाए जाव से तेणट्टेणं एवं एएणं कमेणंजाव पज्जत्तएसुसुहुमतेउकाइएसु, 12 अपज्जत्तसुहुमपु०काइएणंभंते! सक्कर० पुढवीए पुरच्छिमिल्ले चरिमंते समोहए रत्ता जे भविए समयखेत्ते अपनत्तबायरतेउक्काइयत्ताए उव०त्तए सेणं भंते! कतिसमय० पुच्छा, गोयमा! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेण उववजिजा, 13 से केणटेणं?, एवं खलु गोयमा! मए सत्त सेढीओ पं० तं० उजुयायता जाव अद्धचक्कवाला, एगओवंकाए सेढीए उववजमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववजेजा दुहओवंकाए सेढीए उव०माणे तिसमइएणं विग्ग० उव० से तेणट्टेणं०, एवं पज्जत्तएसुवि बायरतेउक्काइएसु, सेसं जहा रयणप्पभाए, जेऽवि बायरतेउकाइया अपज्जत्तगा य पज० // 1596 //

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