Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीभगवत्यङ्गं श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1589 // 33 शतके अवान्तर शतक: 12 सूत्रम् 844-848 एकेन्द्रियभेदादिः एवं चेव / 12 अपज्जत्तसु०पु०काइयाणं भंते! कति कम्मप्प० वेदेति?, गोयमा! चोद्दस कम्मप्पगडीओ वेदेति, तं० नाणावरणिज्नं जाव अंतराइयं, सोइंदियवझं चक्खिंदियवझंघाणिंदियवझं जिभिंदियवझंइत्थिवेदवझं पुरिसवेदवझं, एवं चउक्कएणं भेदेणंजाव 13 पजत्तबायरवणस्सइकाइया णं भंते! कति कम्मप्प० वेदेति?, गोयमा! एवं चेव चोद्दस कम्मप्प० वेदेति / सेवं भंते! रत्ति // सूत्रम् 844 // 33-1 // 14 कइविहा णं भंते! अणंतरोववन्नगा एगिदिया प०?, गोयमा! पंचविहा अणंतरोव० एगिदिया प० तं० पुढविक्का० जाव वणस्सइकाइया, 15 अणंतरोववन्नगाणं भंते! पु०क्काइया कतिविहा पं०?, गोयमा! दुविहा पन्नत्ता, तंजहा-सुहुमपु०काइया य बायरपु०काइया य, एवं दुपएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया। 16 अणंतरोववन्नगसु०पु०काइयाणं भंते! कति कम्मप्पगडीओ प०?, गोयमा! अट्ठ कम्मप्प०प० तं० नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं, 17 अणंतरोववन्नगबादरपु०काइयाणं भंते! कति कम्मप्प० प०?, गोयमा! अट्ठ कम्मप्पयडीओप० तं० नाणावरणिज्जंजाव अंतराइयं, एवं जाव अणंतरोववन्नगबादरवणस्सइकाइयाणंति, 18 अणंतरोववन्नगसुपु०काइया णं भंते! कति कम्मप्प० बंधंति?, गोयमा! आउयवजाओ सत्त कम्मप्प० बंधंति, एवं जाव अणंतरोववन्नगबा०वण काइयत्ति / 19 अणंतरोववन्नगसपु०काइयाणं भंते! कइ कम्मप्प० वेदेति?, गोयमा! चउद्दस कम्मप्प० वेदेति, तं० नाणावरणिज्जं तहेव जाव पुरिसवेदवझं, एवं जाव अणंतरोववन्नगबावणकाइयत्ति / सेवं भंते! रत्ति / / सूत्रम् 845 // 33-2 // 20 कतिविहाणं भंते! परंपरोववन्नगा एगिंदिया प०?,गोयमा! पंचविहा परंपरोव० एगि०प०तं. पुढविक्काइया एवं चउक्कओ भेदो जहा ओहिउद्देसए / 21 परंपरोववन्नगअपज्जत्तसुपु०काइयाणं भंते! कइ कम्मप्पगडीओ प०?, एवं एएणं अभिलावेणं जहा // 1589 //
Loading... Page Navigation 1 ... 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562