Book Title: Vyakhyapragnaptisutram Part 03
Author(s): Divyakirtivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 499
________________ श्रीभगवत्यङ्ग श्रीअभय वृत्तियुतम् भाग-३ // 1577 // 30 शतके उद्देशकः१ सूत्रम् 825 क्रियावाद्यायुर्बन्धादि पकरेइ, एवं पम्हलेस्सावि०, एवं सुक्कलेस्सावि भाणियव्वा, कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउव्विहंपि आउयं प०, सुक्कप० जहा सलेस्सा, सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं प०, मिच्छदिट्ठी जहा कण्हप०, सम्मामिच्छादिट्ठीण य एक्कंपि प० जहेव नेरइया, णाणी जाव ओहिनाणी जहा सम्मदिट्ठी, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हप०, सेसा जाव अणागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भा०, जहा पंचिंति जोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणुस्साणवि भा०, नवरं मणपज्जवनाणी नोसन्नोवउत्ताय जहा सम्मदिट्ठी तिजोणिया तहेव भा०, अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसायी अयोगीय एएन एगंपि आउयं प० जहा ओहिया जीवा सेसंतहेव, वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा असुरकुमारा // 30 किरियावादीणंभंते! जीवा किं भवसिद्धीया अभवसिद्धीया?, गोयमा! भवसिद्धीयानो अभवसिद्धीया। 31 अकिरियावादीणं भंते! जीवा किं भवसिद्धीया पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि, एवं अन्ना०वि, वेण०वि / 32 सलेस्सा णं भंते! जीवा किरियावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया / 33 सलेस्सा णं भंते! जीवा अकिरियावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धीयावि अभवसिद्धीयावि, एवं अन्नाणियवादीवि वेणइयवादीवि जहा सलेस्सा, एवं जाव सुक्कलेस्सा, 34 अलेस्साणं भंते! जीवा किरियावादी किं भव० पुच्छा, गोयमा! भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिसुवि समोसरणेसु भयणाए, सुक्कप० चउसुवि समोसरणेसु भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा, मिच्छादिट्ठी जहा कण्हप०, सम्मामिच्छादिट्ठी दोसुवि समोसरणेसु जहा अलेस्सा, नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया नो अभवसिद्धीया, अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया, सन्नासु चउसुवि जहा सलेस्सा, नोसन्नोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी, सवेदगाजाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा, अवेदगा जहा सम्मदिट्ठी, सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा, अकसायी जहासम्मदिट्ठी,सयोगी जाव कायजोगी 8 // 1577 //

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