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( रुको! एक मिनिट देखो
शूल जैसे तो कदापि मत बनना ।
19) जन्म दुःख है। 1) सिर्फ प्रार्थना करने वाले होठों से, वे हाथ अधिक सुन्दर है, जो किसी की सहायता के
20) आप नही परन्तु आप के कार्य को आपके लिए आगे बढ़े हो ।
लिए बोलने दो। 2) संसार असार है।
21) रोग दुःख है। 3) जीवन क्षणिक है।
22) दुनिया में सबसे बड़ी कला है, अपने आप
को संभालना। 4) जीभ को बुरा भोजन अच्छा नहीं लगता तो, बुरा बोलना कैसे प्रिय हो सकता हैं।
23) जरा दुःख है। 5) क्रोध अग्नि हैं।
24) झूठा अहम ही सबसे बड़ी बीमारी है । व्यक्ति के निर्माण की आधार शिला, उसके
25) क्रोध तूफान है। अन्तर मन मे रहे उदात्त विचार ही हैं। 26) कीर्ति एक ऐसी प्यास है, जो कभी छिपती 7) संसार दावानल है।
नहीं । 8) मोह मदिरा है।
27) जगत में दुर्जन नहीं होते तो सज्जनों की
कोई कीमत नही होती। 9) अनुचित आचरण पाप और समुचित आचरण पुण्य कहा जाता है।
28) मान-पहाड़ है। 10) सुयोग शिल्पी के हाथ में आकर पाषाण भी
29) स्वार्थ में दुर्गंध है। पूज्यता को पाता हैं।
30) सुख-दुःख मे जो सदैव साथ रहे, वही सच्चा 11) मारने की इच्छा हो तो अपनी दुर्वासनाओ
मित्र है। को ही मारो।
31) लक्ष्मी का वशीकरण मन्त्र है शुभम् व्यय । 12) लोभ चण्डाल है।
32) संयमी सुखी है। 13) माया नागिन है।
33) सम्पति नशा है । अतिरेकता से बचो। 14) समय, सम्पति और शक्ति तीनों का ध्यान | 34) क्षमा दान उत्तम है, परन्तु उसे भूल जाना रखना।
उत्तमोतम है। 15) मृत्यु सामान्य जनो के लिए दुःखदायक भयंकर | 35) प्रसन्नता ही आरोग्य है और अप्रसन्नता ही
है, ज्ञानियों, ज्ञानीजनो के लिए मृत्यु रोग है। महोत्सव हैं।
36) ममता से संघर्ष बढ़ता है। 16) तुम्हे जितना जीवन प्रिय है, उतना ही अन्य
37) समता से शांति बढ़ती है। जीवों को भी प्रिय है, इसका ध्यान रहे ।
38) दाता की परख उसके दान से नही, उसके 17) परोपकार पुण्य है।
भाव से होती है। 18) किसी के लिए फूल जैसे न बन सके तो, ।