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सामायिक साधना
14) सामायिक से श्रेष्ठ देव और मनुष्य गति का
आयुष्य बंधता है। || श्री वीतरागाय नमः ।।
15) सामायिक से दूसरे विश्राम स्थल का अवसर सामायिक साधना से 48 (मिनटों) लाभों की
प्राप्त होता है। प्राप्ति होती है, सुज्ञजन ध्यान देंगे।
16) सामायिक से सर्व योगों की विशुद्धि होती सामायिक मन वचन काया को निर्मल बनाती
सामायिक से सिद्धों के तल्य अव्याबाध मोक्ष सामायिक से वचन और काया द्वारा पापमय सुख की उपलब्धि होती है। प्रवृत्ति रूक जाती है।
18) सामायिक से हृदय में भक्ति जागृत होती सामायिक से बारह व्रतों में नवमा, प्रथम है, समता वृद्धि और वैराग्य उत्पन्न होता शिक्षाव्रत का पालन होता है । सामायिक से जीव हिंसादि अठारह पापों | 19) सामायिक सर्व अपराध रूप व्याधि की का त्याग हो जाता है।
विनाशक महा औषधि है। सामायिक आराधना से जिनाज्ञा पालन का
सामायिक चंचलता की नाशक, स्थिरता लाभ होता है।
की दायक है साधक । सामायिक से चित्त में अपूर्व शान्ति का एहसास 1) सामायिक में राग-द्वेष, मोहादि विकारों से (अनुभव) होता है।
मुक्ति मिलती है। सामायिक में आसन स्थिरता द्वारा कायाक्लेश 22) सामायिक व्यवहार पक्ष में भी गौरव प्रदान तप का लाभ होता है।
कराने वाली है। सामायिक से आधि, व्याधि और उपाधि से 23) सामायिक में प्रशंसक और निंदक दोनों एक मुक्त होकर समाधि का लाभ होता
जैसे लगते हैं।
24) सामायिक से निन्दा से आकुलता एवं स्तुति सामायिक में आत्मानुभव से देह और आत्मा से अहं भाव नहीं आते हैं। भिन्न भिन्न है, यह भेद विज्ञान हो जाता
सामायिक द्वारा साधक समतामय जीवन है।
को श्रेष्ठ जीवन समझता है । 10) सामायिक में जगत् के तमाम पापकार्य विचारों
26) सामायिक से त्यागी गुरु भगवंतों का सान्निध्य से मुक्ति हो जाती है।
प्राप्त हो जाता है। सामायिक से समता का अनुभव होता है। | 27) सामायिक से मन, वचन और काया के गाढ़ 12) सामायिक से आत्मा का पोषण होता है। दोष न लगे, ऐसी जागृति बन जाती है । 13) सामायिक से अल्प समय के लिए साधुता | 28) सामायिक से रत्नत्रय ज्ञान, दर्शन और की प्राप्ति होती है।
चारित्र गुण बढ़ते हैं।
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