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29) सामायिक का साधक पूणिया श्रावक, जैसे | 43) सामायिक आराधना से 12 प्रकार का तप साधक की जानकारी से आत्मबल दृढ़ होता
लाभ होता है।
44) सामायिक से तत्वज्ञान उपार्जन हेतू 30) सामायिक से मन का हल्कापन और प्रसन्नता इलायचीकुमार की सामायिक का स्मरण की अनुभूति होती है।
होता है। 31) सामायिक से पापमय जीवन से निवृत्ति की । 45) सामायिक से कम अक्षर, ज्यादा जानना, प्रवृत्ति बन जाती है।
ऐसा समास चिलाति पुत्र की याद दिलाता सामायिक से मैत्री, प्रमोद, कारूण्य और माध्यस्थ ये चार भावनाओं में जीवन की 46) सामायिक से पाप रहित आचरण हेतू धर्मरमणता बढ़ती है।
रूचि अणगार सम जीवन प्रवृत्ति, प्रेरणा 33) सामायिक हर एक को शासन रसिक बनाने
मिलती है। की सरल प्रक्रिया है।
सामायिक से गागर में सागर ऐसा द्वादंशागी सामायिक अर्थात नम्रता, सरलता, पवित्रता
को जानना लौकिकाचार पंडित का स्मरण और संतोष रुपी धन का खजाना है।
होता है। 35) सामायिक से व्यसन - मुक्त जीवन बनता
48) सामायिक से निषेध वस्तु के त्याग के लिए
तेतलीपुत्र की सामायिक का अर्थ समझ में
आता है। 36) सामायिक से परिवार में शांति बढ़कर, घर नन्दनवन सम बन जाता है।
8 दिन मे धर्म-ध्यान का 37) सामायिक से द्रव्य क्षेत्र, काल और भाव की
मासखमण शुद्धि होती है।
पर्युषण पर्व दि. 24-8-03 से 31-08-03 तक 38) सामायिक से वैमनस्य समाप्त होता है, । शिविराचार्य, जन-जन की आस्था के केन्द्र परम और प्रीति प्रकट होती है।
पूज्य श्री विनयमुनिजी म.सा खींचन 39) सामायिक से सौभाग्य की प्राप्ति होती है द्वारा पर्युषण पर्व दौरान स्थल एवं सर्वत्र सम्मान मिलता है।
स्थान : सिल्वर जुबली हॉल, लाल बाग के अन्दर, 40) सामायिक से दमदन्त मुनि की भांति मान
प्रवेश का रास्ता डबल रोड़ से है । अपमान में खेदित नहीं होता है।
इस लोक परलोक को सुखी एवं आनन्दमय बनाने
के लिए जीवन में धर्म क्रिया का महत्व है। सामायिक से मारणांतिक कष्ट आने पर भी शरीर की परवाह बिना जीव दया पालक
इसलिए निम्नलिखित 30 व्रत पच्चक्खाण को मेतार्य मुनि जैसी समभावना आती है।
यथाशक्ति धारण करके अपना जीवन सफल
बनाइये और त्याग की नाव में बैठकर भव सागर 42) सामायिक से सत्य वचन कालकाचार्य की
तिर जाइये :सामायिक का स्मरण होता है।