Book Title: Vinay Bodhi Kan
Author(s): Vinaymuni
Publisher: Shwetambar Sthanakwasi Jain Sangh

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Page 335
________________ वृक्ष चला गया, छाया रह गई। फूल चले गये, सुगंध रह गई ।। 26 श्री अनराजजी ललवानी स्वर्गवास १३/४/२००८ श्रीमती पापाबाई ललवानी स्वर्गवास : १०/७/२००८ जीवन परिचय पु. पिताजी श्री अनराजजी ललवानी एवं मातुश्री श्रीमती पापाबाई खीचन निवासी वर्तमान में इन्दौर का, स्वर्गवास मात्र तीन माह के अन्तराल मे हो गया। आप दोनों ही अत्यन्त धर्मनिष्ठ एवं तत्वज्ञाता थे। आपकी धर्म के प्रति प्रगाढ़श्रद्धा थी, __आप द्वय ने धर्म ध्यान सुनते-सुनते त्याग व्रत एवं समाधि भावों में अंतिम सांस ली। आपके एक पुत्र वर्तमान में पं.र. शिविराचार्य पु. विनयमुनिजी म.सा' खीचन' एवम् एक पुत्री स्थिविरा महा भागवान पु. धीरज कुंवरजी म.सा जिन शासन की महत्ती प्रभावना कर रहे है। आपके पूरे परिवार ने अंतिम समय मे हिम्मत रखकर आप दोनों की खूब सेवा-सुश्रुषा की और धर्म का भाता बंधाया। परिवार जनों ने आर्तध्यान नहीं करने का संकल्प लिया। आप अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गये। प्रस्तुति डॉ. कंचन जैन, दिल्ली पुत्र - पुत्रवधु कस्तूरचंद शांतिलाल राजेन्द्रकुमार महेन्द्रकुमार चम्पादेवी भंवरीदेवी ललितादेवी अनितादेवी

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