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तीर्थंकर भगवान देव द्वारा निर्मित समवशरण बुद्ध भी होते है। में उपदेश देते हैं, जबकि सामान्य केवली
तीर्थंकर के पाँच कल्याणक होते हैं, केवली के समवशरण ही नहीं होता ।
के नहीं। 25) तीर्थंकर भगवान की सभा में 12 प्रकार की
तीर्थंकर भगवान ज. 30 वर्ष की उम्र में ही परिषद आती है, सामान्य केवली के भजना ।
दीक्षा लेते हैं, जब कि सामान्य केवली 9 6) तीर्थंकर भगवान तीर्थंकर सिद्धा अतीर्थ सिद्धा
वर्ष की उम्र में दीक्षा ले सकते हैं। होते हैं । सामान्य केवली, अतीर्थंकर सिद्धा
37) तीर्थंकर भगवान उ. 1 लाख पूर्व वर्ष तक और तीर्थ सिद्धा और अतीर्थ सिद्धा भी
का संयम पालते हैं, जब कि केवली होते हैं।
उ. देशोन 1 करोड़ पूर्व का पालन कर 27) तीर्थंकर भगवान सामान्यत : पुरुषलिंग ही सकते है। होते है, केवली तीनों लिंग के होते हैं।
तीर्थंकर तीर्थ की स्थापना करने के कारण तीर्थंकर भगवान नियमा बोध देते हैं, सामान्य तीर्थंकर कहलाते हैं, जबकि सामान्य केवली केवली भजना।
'तीर्थ' कहलाते हैं। तीर्थंकर भगवान अवसर्पिणी काल में तीजे | 39) तीर्थंकर भगवान जहाँ गोचरी लेते हैं, वहाँ और चौथे आरे में, और सामान्य केवली
सोनैया (सुवर्ण वृष्टि) की बरसात होती है। तीजे, चौथे और पाँचवे में भी होते हैं
जब कि केवली के भजना । (जम्बूस्वामी 5 वें आरे में मोक्ष गये) ।
तीर्थंकर भगवान की वाणी में वचनातिशय उत्सर्पिणी काल में सामान्य केवली और
(35 गुण) होते हैं । केवली के सभी अतिशय तीर्थंकर भगवान तीजे और चौथे आरे में
नहीं होते ही होते हैं। महाविदेह में शाश्वत मिलते हैं।
तीर्थंकर भगवान के उपदेश को अत्थागमे तीर्थंकर का जन्म क्षत्रिय कल में होता है,
(अर्थ रुप वाणी) कहते है। जब कि केवली का चारों वर्गों में ।
तीर्थंकर भगवान नियमा कल्पातीत कल्प 31) तीर्थंकर भगवान दो गति (देव तथा नरक)
वाले होते है, सामान्य केवली में तीनों के आए हुए और सामान्य केवली चारों गति
कल्प होते है, आते है। से आए हुए जीव हो सकते है।
तीर्थंकर भगवान के अपने भव में तीन चारित्र 32) तीर्थंकर का जीव 2 दण्डक (वैमानिक देवों
(सूक्ष्म; सामायिक; और यथाख्यात) पाते का, नरक का) से आया हुआ जीव हो सकता
ही, जबकि सामान्य केवली में अपने पांचो है | और केवली 19 दण्डक का आया हआ
चारित्र की भजना। हो सकता है। (तेउ,वायुऔर तीन विकलेन्द्रिय को छोड़कर)
तीर्थंकर भगवान को दीक्षा के लिए, 9
लोकान्तिक देव प्रार्थना करते हैं। केवली को तीर्थंकर भगवान का उपदेश चार कोस तक
नहीं। सुनाई देता है, सामान्य केवली का नहीं ।
45) तीर्थंकर भगवान ज.2,उ.4 एक समय मोक्ष 34) तीर्थंकर नियमा स्वयं बुद्ध होते है, जबकि
पधार सकते हैं, केवली नही । केवली स्वयं बुद्ध, बुद्ध बोधित और प्रत्येक
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