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26) कितने ही माता-पिता बालकों को बड़ा करते है, पर संस्कारित नहीं करते ।
27) अति खुशामद, अति सम्मान से सावधान हो ।
28) संत मिलते हैं तो, संवाद (अच्छी बात ) करते हैं, संसारी मिलते है तो विवाद करते हैं ।
29) पूरे संसार में एक ही व्यक्ति हमको हार दे सकता है, वह है हम स्वयं ।
30) जीवन की श्रेष्ठ पूंजी है 1) समझ शक्ति और 2) सहन शक्ति ।
31 ) 'मनुष्य का हृदय ही' सभी तीर्थों का स्थान है ।
32) जिन्दगी तो बेवफा है, एक दिन ठुकराएगी, मौत मेहबूबा है, अपने साथ लेकर जाएगी । 33) पुण्य का उदय होने पर अपरिचित को भी
आदर मिलता है, परन्तु पाप का उदय होने पर परिचित को धिक्कार मिलता है । 34) लड़की संस्कार की ज्योत से माँ-बाप का नाम रोशन करती है ।
लड़का धन के सदुपयोग से माँ-बाप का नाम रोशन करता हैं ।
35 ) मांगने पर देना, अच्छी बात है, किन्तु किसी की आवश्यकता समझते हुए बिना मांगे दे देना, इससे भी अच्छी बात है ।
36 ) इतना मत खाओ कि पचा न पाओ । 37)
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जो उचित है, उसे करने के लिए हर समय उचित है ।
38) जिन्दगी सिर्फ वर्षों में नही गिनी जाती, कभी कभी घटनाएँ ही सर्व श्रेष्ठ कलाकार होती हैं ।
अपना चेहरा कोई कितना भी छिपाए, लेकिन
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'वक्त' हर शख्स को आईना दिखा देता है ।
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दुनिया में किसी व्यक्ति से अनबनाव, हकीकत में स्वयं के साथ ही अनबनाव हैं ।
शहर व गाँव की सम्पत्ति में क्या अन्तर है ? शहरी का दिल कठोर सीमेन्ट, कॉन्क्रीट के समान होता है ।
गाँव का दिल नरम कच्ची मिट्टी के समान होता है ।
42) समय बीतने पर धन में ब्याज की वृद्धि होती है । परन्तु समय बीतने पर 'जीवन धन' में घटोतरी होती है ।
शहरी उपर से औपचारिकता निभाता है, परंतु ग्रामीण व्यक्ति दिल से सत्कार सम्मान
करता I
43) इस भौतिक संसार में छः ककार वस्तुएँ हैं सार, (संसार की मांग) कुर्सी, कंचन, कामिणी, कामना, कोठी, कार ।
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चिन्ता चिता समान है, चिन्ता जिन्दे को जलाती है, और चिता=मुर्दे यानि मरे हुए को जलाती है ।
45) धर्म ध्यान जोर से करो, चिन्ता कभी मत करो ।
46) दवा लागू होने पर उसकी निशानी है, बुखार का उतरना व उपदेश लागू होने पर उसकी निशानी है, आचरण का सुधरना।
धर्म औषध है, मोक्ष आरोग्य
47 ) संसार रोग
है ।
48) मनुष्य के हृदय में यदि क्रोध है, तो फिर किसी दूसरे शत्रु की जरुरत नहीं है ।
तार भी टूटा, मगर अपना सुर बहाकर, आप तो चलते है, हमेशा ज्ञान गंगा बहाकर ।