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184 है । आश्चर्य...सूर्य की गति जानते हो। । जितने सिद्ध होते है, उससे अधिक 1 समय प्रत्येक मुहुर्त में (48 मिनट में) 4 लाख 40
में नरक जाने वाले मिलते हैं। किलोमीटर की लगभग होती है।
पन्नवणा पद - 6 जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति 83) श्वास बिना - अनंत काल 80) मन की शक्ति कितनी अधिक
वनस्पति काय के जीव अपर्याप्त अवस्था में सुई की नोक पर असंख्य मच्छ रह सकते
काल करके वनस्पतिमें ही जन्म-मरण यदि है। इतनी सुक्ष्म (छोटी) अवगाहना का सन्नी
करते रहे तो अनंत काल बिता सकते है ।
चौथी पर्याप्ति पूर्ण हुए बिना ही काल करना, मच्छ अन्तर मुहुर्त की उम्र वाला मरकर सातवीं
ऐसा अनंत काल बीत सकता है | नरक में चला जाता है । 70560 अरब 1000000 वर्ष तक प्रतिदिन हजारों मच्छलियों
भग.श.24 को खाने वाला असन्नी मच्छ केवल पहली
84) विभिन्न प्रकार के पानी समुद्रो में होते है नरक में ही जाता है
समुद्र का पानी खारा ही होता है । ऐसा नहीं सातवीं नरक में जाने वाला मन सहित था,
है, असंख्य समुद्रो में से 1 समुन्दर (लवण वहाँ मन सहित होने से, क्रूर व निकाचित
समुद्र) ही खारा है । क्या अन्य विभिन्न स्वाद कर्म बंध होता है । क्रोड पूर्व वाला असन्नी
के होते है ? हाँ सभी असंख्य समुद्रो में से पंचेः मच्छ मात्रा काया से पाप करता है ।
सात को छोड़कर शेष सभी का पानी ईक्षु रस अल्प कर्म बंधता है । अतः पहली नरक में
जैसा स्वाद वाला है। जाता है।
कालोदधि, पुष्कर, स्वयंभू-रमण ये तीन समुद्र भग श.24
पानी के स्वाद है। 81) पुद्गल द्रव्य : (परिवर्तन)
वारुणी समुद्र - वारुणी के स्वाद वाला है। प्रत्येक वर्गणा का असंख्यात काल में उसका
क्षीर समुद्र - दूध के स्वाद वाला है | वर्ण गंधादि में नियमा परिवर्तन होता ही है।
धृत समुद्र - घी के स्वाद वाला है। सभी पुद्गल, सभी वर्गणा अमुक काल बाद में परिवर्तन होते ही रहते हैं।
लवण समुद्र - खारा स्वाद वाला है। भग.श. 12
जीवाभिगम 82) असंख्य काल में जितने सिद्ध हुए, एक
85) शरीरों की सूक्ष्मता का वर्णन समय में उससे अधिक नरक में जीव जन्में! अनंत जीव हैं वनस्पति काय में, असंख्यात सर्व श्रेष्ठ स्थान सिद्ध क्षेत्र, सर्व अधर्म स्थान
जीव है, चार स्थावर काय में सूक्ष्म जीवों का 7वीं नरक, समानता दोनों में एक है कि छः
शरीर तो सूक्ष्म है ही, परन्तु बादर जीवों का मास में कोई न कोई जीव अवश्य जन्म लेता
शरीर भी कितना सूक्ष्म है .... . है । है दोनों जग। रोज 2 जीव समुच्चय असंख्य निगोद (शरीर) जितना 1 वायु शरीर, नारकी में जन्म लेते है। रोज 2 जीव देवलोक
असंख्य वायु काय जीवों का शरीर =1 तेउ में जाने वाले मिलते ही है। असंख्यात वर्षों में
शरीर