Book Title: Vedang Prakash
Author(s): Dayanand Sarasvati Swami
Publisher: Dayanand Sarasvati Swami

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥ सामासिकः॥ मस्मानुडचि ॥ ६ । ३ । ७४ ॥ तस्मात् नाम लोप हुये नञ् के नकार से परे अजादि उत्तरपद को नुट् का आगम हो । न अच् अनन् । न अश्वः अनश्वः । न उष्ट्रः अनुष्टः । इत्यादि ॥ नत्रस्तत्पुरुषात् ॥ ५। ४ । ७१ ॥ जो नञ् से परे राज आदि शब्द सो अन्त में जिस तत्पुरुष के उस से समासान्त प्रत्यय न हों । अराजा । असखा । अगौः । तत्पुरुषादिति किम् । अनृचो माणवकः । अधुरं शकटम् ॥ पथो विभाषा ।। ५। ४ । ७२॥ जो नञ् से परे पथिन् शब्द सो जिस तत्पुरुष के अन्त में हो उस से समासान्त प्रत्यय विकल्प कर के हो । अपथम् । अपन्थाः । ईषदकृता ॥ २ । २ । ७ ॥ जो सुबन्त ईषत् शब्द कृत् वर्जित सुबन्त के साथ समास को प्राप्त हो वह तस्पुरुष समास हो । वा.-ईपदगुणवचनेनेति वक्तव्यम् ॥ ईषत्कडारः । ईषत्पिङ्गलः । इपद्विकारः । इषदुन्नतः । ईषत्पीतम् । गुणवचनेनेति किम् । ईषद् गार्ग्यः । * षष्ठी ॥ २ । २ ॥ ८॥ षष्ठ्यन्त सुबन्त, समर्थ सुबन्त के साथ वि० समास पावे । सो षष्ठी तत्पुरुष जानो । राज्ञः पुरुषः रामपुरुष: । राज्ञाः पुरुषो राज पुरुषौ । राज्ञां पुरुषाः राजपुरुषाः । राज्ञ पुरुषौ पुरुषा वा । ब्राह्मण कम्बलः ।। बा-कृद्योगा च षष्ठी समस्यत इति वक्तव्यम् ॥ जैसे-इध्मब्रश्चनः । पलाशशातनः । किमर्थमिदमुच्यते । प्रतिपदविधाना षष्ठी न समस्यत इति वक्ष्यति तस्यायं पुरस्तादपकर्षः ।। * यहांतक तत्पुरुष समास का प्रकरण आया इसके आगे पष्ठ तत्पुरुष का प्रकरण समझा चाहिये ॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77