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कामार्तन समन्युना VII. 30.30b कामाथगुण संयुक्तम् I. 3.8a कामाश्रमपदे तथा I. 23.22b कामिनामयमस्यन्तम् IV. I.59a कामिना स्वास्तरान्पश्य II. 94.240 कामिन्यः कामुकानि च V. I0.49d कामिभिवानते पश्य II. 94.25c कामी कमलपत्राक्षीम् II. I0 27c
, वा न क दो वा I. 6.8a ,, हस्तेन संगृह्य II. II.4c कामेन कलुषीकृत: VI. 12.18b ,, न विचाधसे II. 100.62d ,, सुग्रीवमसक्त मद्य III. 33.54d कामे रत्नेश्च पुस्कलै: VI. I28.86b काभैः संपतिज्ध तान् II. 70.6d कामोन्मादकरा मन IV. I.46d कामोन्मादकरं नृपाम् VII. 17.5b कामोपत्तचेतन: VI. 60.16d काम्पिल्या परमा लक्ष्या I. 33.I9c काम्बोजय नांव IV. 43.12a काम्बोजनिषये जाते: I. 6.22a काम्बोजा रविसमा: I. 55.2b काम्या भगवन्नृहि VII. 51.9c काम्यरूपा वने स्त्रियः I. 13.10b काम्पश्च विजयो रणे V. 48.14d कायं क येन योजय VI. 32.32b कायक्लेशाश्च बहवः II. 28.23a कायमानं च मेधावी V. I.83a काय वृद्धि प्रवेगं च V. I. IG6a कायानिष्पेनुराशुगा: III. 3. I6d कायेन कुरुते पापम् II. I09.21a कायेनार्थ पविष्टेन VI. 65.30 कारणं चैव सर्व मे VII. 49.६c ,, तत्र वश्यामि III. 9.13c ,. तद्वदिष्यामि VII. 17.IIC
। कारणं नात्मनोऽवशः IV. 25.7d
, नोपपद्यते VI. 17.55d , यत्कृते पुनः III. 21.4b , यन्मनोगतम् VIJ. 9.21d ,, येन बाणोऽयम् IV. I2,29e ,, राक्षसेश्वर VII. 6.43b ,, हरिपुंगव IV. 18.36b कारणादिति चोक्त्वासौ VII. 35.58a कारणानां प्रयोजनम् VI. 64.7b कारणानि च वक्ष्यामि VI. 48.23a कारणेन वरानने IV. 16 2d
, विनानघ II. 7I.35b कारणैरुपपादयन् V. 15.40d ,, पपादिभि: V. 15.27b ,, बहुभिर्दवि V. 38.7a ,, बहुभिस्तथ्यैः II. 34.23c ,, ,, स्तदा II. II7.Id ,, बहुभी राजन् I. 53 16a कारणैश्च महागुणैः V. 55.31b
, , V. 58.164d कारण्डवनिषेविता: VI. 4.83b कारण्ड वनिषेविताम् IV. 1.98d करण्ड विकीर्णानि III. 8.14C कारण्डैः सार सहसेः IV. 13.8a कारयन्ति सभा नराः II. 67 12b कारयन्तीह मन्त्रिणः VI. 63.17d कारयस्व ऋषे सर्वाम् I. 73 18c
,, ममालयम् VII. I3.2d | कारयाद्य तपोधन II. 5.2b कारयामास तद्राज्यम् I. 29.5e
धचित् II. 76.3d
, VI. II4.20d राक्षस: VI. 36.16d , VII. I3.6b
VI. 128.16b
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