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कामक्रोधजयैषिणम् I. 64.12b कामक्रोधवशादपि I. I 3.15b कामक्रोधसमुत्थानि II. 3.43a कामक्रोधसमुत्थेन IV. 3I.I;a.
VI. III.72c कामक्रोधाभिभूतश्च II. 754IC कामग: प्लवतां वरः VII. 6.23b कामगा कामरूपिणी III. 19.5b कामगान्यभिसंपतन् III. 35.20b कामगाश्च तुरंगमा: VI. 85 12d कामगाः पवनोपमा: VII. 23.-7b कामगेन महारथः VH. 28.3b कामगबहुभिवत: VII 9I.IIb कामगं कामचारिणम् IV. 3.23d ,, दिव्यमुत्तमम् VI. I2I. Iob , पावकार्चिषम् III. 5I.I6b , रथमारथाय III. 35.6a..
,, III. 35. I0a. वीमिर्जितम् VII. 15.40b
वै जहार य: III. 32.15b ,, स्यन्दनं दिव्यम् VII. 25.10a काम कामः शरीरे मे V. 20.6c ,, कामार्थ कोविद II. 90.23d ,, खलु दशग्रीवः IV. 59.27c ,, ,, न मे शक्ता: V. 53. IIa ,, शरैः शक्त: IV. 29.22a , ,, सतां वृत्ते II. 4.20a ,, खल्वहमप्येकः V. 51.31a. काम खादत मां सर्वा: V. 24.8c
V. 253c कामजानि भवन्त्युत III. 9.3b कामतन्त्रप्रधानश्च IV. 18.12c काम तस्त्वं प्रकृत्यैव II. 3.41c कामदर्पम देयुक्तम् V. 18.23a कामधुसूज योगतः I. 55.Id
कामधेनुं वसिष्ठोऽपि I. 54.1a कामं तपःप्रभावेण III. I0.13c ,, तिष्ट महाराज VI. 60.6a ,, तु मम तत्सैन्यम् III. 38.ja ,, त्वमपि पर्याप्त: V. 37.57a ., त्वामृषिसत्तम II. 92.7b ,, स्विदं पुष्पित वृक्षपण्डम् III. 63.15a ,, त्विदानीमपि माम् VI. 63.41a ,, त्वेष निशाचर: VI. III.98d ,, दृष्टा मया सर्वा V. II.4la ,, न त्वं समाधेयः VI. I06.13a कामपाशावपाशिताम् III. 18.1b क.मबाणवशंगत: VII. 26.20b
VII. 88.1 b कामबाणः प्रपीडितः III. 55.2b कामभारावसन्नश्च II. 52.23c कामभोगाभिसंरक्त: VII. 26.41a कामभोगेषु वानर IV. II.33d काम भोगः परित्यक्ता V. 16.24a काममन्युपरीतात्मा V. 22.39a. काममस्ति महत्सैन्यम् III. 38. ICC काममस्तु हृता सीता V. 13.47e कामनस्य त्वमेक: V. 39.28a ,, , V. 56.Ila
, ,, V. 68.11a काममार्य सुपर्याप्तः VI. 59.46a काममुद्दीपयन्निव IV. 1.93d काममेतद्भवत्वेवम् VII. 56.20a काममेवंगतेऽप्यस्य IV. 30.76a काममेवनिदं कार्यम् IV. 40.9a काममेवंविधो लोकः IV. 17.53a काममेवंविधं राम II. 29.7c काममेवोपसेवते IV. 33.44d काममोहपरीतस्य VI. I09.4c काममोहपरीतात्मा VII. 17.3c
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