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काञ्चनं काञ्चनैर्हम्यैः VI. 121.250
च पुरोधसम् VII. 108.8b चित्रपादपम् IV. 42.18d जातविस्मया III. 40. rgb धरणीं प्राप्तम् I. 37.1ga नगमुत्तमम् V. 58. Tod पश्य मैथिलि VI. 123.18d भाण्डमायुधम् VI. 75.gd रजसा ध्वस्तम् II. 104.25c रत्नभूषितम् III. 35.6b शिखरं दिव्यम् V. 58.9c काञ्चनश्च मृगो भूत्वा III. 57.70 काञ्चनस्तम्भसंवीतम् VII. 15.36a कामनस्य गिरेः शृङ्गे VII. 6.67 काश्चनस्य च शैलस्य IV. 40.63a सुनाभस्य V. 1. 130C काञ्चनाङ्गदकेयूर VI. 65.28a काश्चनाङ्गदनद्वारम् VI. 60.30a काञ्चनाङ्गदनद्धाम्याम् VI. 71.23a काश्चनाङ्गदभूषणम् VI. 61.3b
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VI. 67.138b काञ्चनादसंनद्धः V. I0.15a काश्चना जलकुम्भाव II. 15.4c का अञ्चनानराजती: V. 1. 15d काञ्चनानि गमिष्यथ IV. 42.36d
च पद्मानि IV. 51.70
च शृङ्गाणि III. 35.24c
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प्रमर्दन्त: VI. 42.18a
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कानानित्र निर्मलान् IV. 30.8b
काचनानि विचित्राणि V. 2.51a
विमानानि IV. 50.30c
IV. 51.5C
काशनान्तरदर्शनम् IV. 42.33b
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काञ्चनाभ नभश्चक्रे VII. 32560 काञ्चनालङ्कृता भवन् I. 14.24d
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कान मणिविग्रहाम् VI. 1. 8.75d मम पत्नीं च VII. 91.25a शतपुश्कराम् VI. 128.6gd शतयोजनाम् IV. 42.1gd शिंशपामेकम् V. 14.37a
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काञ्चनी रत्नभूषिता IV. 17.5b काञ्चनेन च शालेन VI. 39.2ce
विकृष्टेन V. 58.54c
विराजिता V. 10.25b V. 49.2b काञ्चनेनावृतां रम्याम् V. 2.16a
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काचने परमासने III. 32.5b
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IV. 33.63b काञ्चनैर्धातुभिर्वृतः VI. 123.3gb काञ्चनैर्बहुभिः स्तम्भैः VI. 3. 1Sc काञ्चनश्चैव भृङ्गारैः V. 18. 12a काञ्चनैः सूर्यसंकाशैः VII. 11.41c काञ्चनैस्तरुभिश्चित्रैः V. 14.230 काञ्चनैः स्फाटिकैरपि V. 9.16b काञ्चनोत्पलपद्माभिः V. 15.4a काश्चनोर छदान्दिव्यान् III. 51.1ga काञ्चनोरश्छदश्विमे III. 64.46c काञ्चनोऽस्नीति सर्वतः V. 14.3gd कालीनां निस्वनेन च V. 6.4 b
निःस्वन तथा IV. 33.25b काजी नूपुर निःस्वनैः VI. 128.1ob काची नूपुर मिश्रितम् V. 586 b काण्डानि षट् कृतानीह VII. 94.26c कातरत्वं प्रकाश हि III. 62. 12a कार्यं च न ते युद्धे VI. 111.6gc जनितं मम IV. 11.8od कात्यायनो गौतमश्च II. 67.3c
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VI. 128.60c
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ऽथ जाबालि VII. 74.4c
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का त्वं भवसि रुद्राणाम् III. 46.27c
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