Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 580
________________ शब्दार्थ-कोषः ] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । ७८३ ८०४ ८२५ ६३२ अबलं व-निर्बल की तरह ६२० । असारम् असार को ७६१ अवसो-परवश हुआ ८२१,८२३, ८२८,८२६ असारंमि-असार अवसस्स-परवश हुए ७३०, ७५ असारे-असार है ६०३ अवि-निश्चय ही ५८६, १०८७ | असिप्पजीवी-शिल्पकला से आजीविका । ऽवि=पूरणार्थक है ६१७ | ___ न करने वाला ६६० अवियत्ते-प्रीति न करने वाला ७११ असि है, सो ८७५, ६८६, 848 अविवन्नो-विना वश किए हुए १०६ असिधारा-खड्ग की धारा पर अविस्सामो-विश्राम रहित होना ८०२ असिपत्तं-असिपत्र रूप ८२५ अविहेउए किसी को विघ्न न करने । असिपत्तेहि-असिपत्रों के वाला । असीले जो अशील है ६०८ अवेक्वन्तो देखते हुए . असीहिं-खगों से ८२० अवेयणे वेदना से रहित होता है ce | असुइस भवं-अशुचि से उत्पन्न हुआ है ७८१ असई-अनेक बार ८११ | असुई-अपवित्र है और ७८१ असञ्चमोसा-असत्यामृषा १०८६, १०६२ | असज्जमाणा-असक्त हए . ५८५ असुभत्त्येसु-अशुभ अर्थो से १०६५ असणे-अन्न के मिलने पर · ८५७ | असुयाण-पुत्ररहितों को ५८८ सब्भम्-असभ्य वचन ६३७ | असुहाण-अशुभ असंविभागी-सम विभाग न करने वाला ७११ अस्स-इस जीव के ६०३ असंसतं असंसक्त ११२५ | अस्सा -घोड़े ८७६ असंगया=निःस्पृहता है . ८६६ | अस्साया असातारूप ८१३, ८१४,८३६ असंजए असंयत होने पर भी ७०७, ६०४ | अस्साविणी-छिद्र सहित १०५६ असंतो विद्यमान न होने पर भी उत्पन्न अस्सिओ-आश्रित हुआ ___हो जाती है जैसे ६०१ अस्सुयपुव्वं-अश्रुतपूर्व-प्रथम नहीं सुने असंथडाई-बीजादि से रहित १४७ ८७५ असंलोए असंलोक स्थान में, देखता अह-अथ, ५८८, ७२४, ७२६, ७२८, ७७४, नहीं १०८५, १०८६ ६२७, ६२८, ६३१, ६५७, ६५८, असंपहिढे-हर्ष से रहित ६४३, ६४५ ६६०, ६६३, ६६५, ६७१, ६७७, असंभंता-असंभ्रान्त हुई ६८२,६८६, १००१, १००६, १०२६, असाहुरुवे-असाधु रूप ११०२, ११०३, ११०६ असासए-अशाश्वत ७८२ | अहं मैं ६१६, ६२२, ६२७, ७४३, ७४५, असासयावासम् अशाश्वत ही इसमें । ७८२, ७८३, ८२३, ८२८, ८२६, जीव का निवास है ७८१ ८६१, ८६५, ६५८, ६७६, ६८३, असावजं-असावद्य १०८० ६८९, १०३२, १०३५ असासयं-अशाश्वत ५८७ | अहम् मैं ७२६ ७२८ ६८५ 805

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