Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 604
________________ शब्दार्थ-कोषः] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । /VVVVVVVVVVVVVVvvvvvvvvvv १०५४ ११४० दित्ता दीप्त-प्रचण्ड ८०६ | दुक्खस्संत-दुःखों के अंत को ६३७ दिया द्विज ५६३, ६३०, ११०५, ११३७ | दुक्खस्संत-दुःख के अन्त के दिवसेदिवस १०७५ | दुक्खमा दुस्सह है ८६१ दिव्व प्रधान ६५६, ११२३ दुक्नसिजा-दुःखरूप शय्या । ७६६ दिव्वं-देव ७४२ दुगंछणाए-जुगुप्सा में, वह . १०० दिव्वान्देवलोक के कामभोगों से खचित दुश्चरं-दुश्चर है. ७६२ न होते हुए फिन्तु, ५८६ दुश्चरे-दुश्चर है ८०५ देव सम्बन्धि ६५७, ७४५, ६४० दुधए-दुस्त्यज ६३४ दिव्वेणं-प्रधान-शब्दों से ६६१ दुजए-दुर्जय ६६७ दिस्स-देखकर . ६३१, ६६३, १०११ | १११, ०६२, १०११ | दुज्जया-दुर्जय हैं ६६६ दिसं-दिशा को . | दुट्ठसो दुष्ट अश्व-घोड़ा १०४५, १०४७ दीव-द्वीप १०५२ | दुत्तरो-दुस्तर है ८०३ दीवे-द्वीप दुख-दुग्ध ७१४ दीवोन्द्वीप है . . १०५४ | दुमन्द्रम और दीदीखता है . ७३७ दुमो-वृक्ष-काटा जाता है, तद्वत् । ८३१ दीसन्ति-देखी जाती है ८३८, १०३५ दुम्मुहो=द्विर्मुख राजा हुआ ७६१ दीहकालियं वा अथवा दीर्घ कालिक ६६७ | दुम्मेहा-दुष्टबुद्धि वाले दीहकालियं-दीर्घकालिक ६६९, ६७१, ६७३ दुप्पट्टिय=दुःप्रस्थित और ८६७ ६७६,६७८,६८०, ६८१, ६८३, ६८५ दुक्कर-दुष्कर दुब्भूए=निन्दित ६६६, ७६३, ७६४, ७६५ दुरप्पा-दुरात्मा ६१० ८०४,८०६, ८०८,८०८, ८१० दुरणुपालओ-दुरनुपालक है १०२३ ८१८ दुक्करो दुष्कर है दुरासयं दुःख से आश्रित करने योग्य ६८७ दुक्ख-दुःखरूप ७६६, दुरासहं-दुरारोह-दुःख से आरोहण दुस्त्रंन्दुःखरूप हैं करने योग्य १०६३, १०६६ दुक्या -दुःख है ५६५, ८८४,८५,८८६ | दुविहं प्रकार के ६५०, १०८३ ८,८६० | दुविहे दो भेद हो जाने पर १०१६, १०२६ दुक्खे-दुःख में ५५, १०६२ दुवे दो। दुक्ख-दुःख को ६१७, ७७६, ८००, ८०७ | दुवालसंग द्वादशाङ्ग १०७३ ८४० | दुन्विसोझो-दुर्विशोध्य था १०२३ दुक्खो -दुःखरूप ७४ | दुव्विसहा जो सहने में दुष्कर है ६४१ दुक्खकेसाण दुःख और क्लेशों का ७८१ | दुव्वहो-उठाना दुष्कर ८०२ दुक्खवेयणा-दुःखरूप वेदनाएँ ८३८ दुस्सीलं-दुराचारी को ११२७ दुश्वविवहणं-दुःखों के बढाने वाले ८६३ दुहा-दो मेद वाला १०२१ COLO ७८४

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