Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 620
________________ शब्दार्थ-कोषः] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । [४५ भवेसुम्भवों में भविस्ससि हो जायगा ८७५, ६६०, ६६१ | भिक्खमाणा-भिक्षा करते हुए ६११ भविस्सामुम्होंगे ... ६०० | भिक्खमट्टा-भिक्षा के लिए ११०३ भविस्सामो हम भी होंगे अर्थात् धर्म भिक्खं भिक्षा लेंगे ६००, ११०४ में दीक्षित होंगे ६३१ | भिक्खायरिया-भिक्षाचयों और ६१८ भवे-होवें ६२५, ६८८, १०२६ भिक्खारियं-भिक्षाचरी को ६२१ भवेजा होवे भिक्खायरियाइ-भिक्षाचर्या ८३६ हमारा भी भवोहन्तकरा-भव-संसार-के-प्रवाह- - भिक्खायरिया भिक्षाचरी का करना ७६६ जन्म-मरण-को अस्त करने भिक्खु उत्तमा हे भिक्षुओं में उत्तम ११३७ वाले १०६६ | भिक्खुणा=भिक्षुको ७६२ भसेजा-भ्रष्ट होवे ६६७, ६६६, ६७१, ६७३ | भिक्खू-भिक्षु होता है ६४१, ६४२, ६४३ ६७६, ६७८,६८०, ६८१, ६८३, ६८५ | | ६४५, ६४६, ६४७,६४८,६४६, ६५१ भाणू-सूर्य १०६० ६५२, ६५३, ६५४, ६५६, ६५७, ६५८ भायणंभाजन है ६६०, ६६३, ६६४, ६६५, ६८७, ६८८ भायरो भाई ८८७ ६६१, ६६३, ६६८,८४७, ६३६, ६४० भारहवासं भारतवर्ष को . ७५०, ७५२ ६४४, ११०४ : ७५३, ७५६ भिक्खण-भिक्षा से ११३७ भारिया भार्या, जो कि किक भिक्खेणं भिक्षा से ११३७ भावओ-भाव से नमस्कार करके ८६५ | भिचा-भृत्य-सेवा से ६१५ १४०, १०६८, १०७६, १०७७ भित्तन्तरंसि दीवार के अन्तर में ६७५, ६७६ भावभाव ६६० भिन्ना-भेदन की हुई १०४४ .भावेत्त-भावित करके ८५६ भिन्नो भेदन किया-विदारण किया ८२१ भिन्नो भेदन किया-विदारया नि भावनाहिं भावनाओं से 2३२ भावणभाविया भावना से भावित हुए ६३७ | भीए-डरते हुए भावित्ता-होकर १०२ भीएण=भय से ८३६ भासच्छन्ना-भस्माच्छादित १११६ भीमफलोदया भीम-भयंकर-फलों के भाला भाषा ७४३ ___ देनेहारी १०४० भासाइ-भाषा में १०० भीमाई-भयंकर ८१२ भासं-भाषा को १०८० भीमाश्रो भयंकर-श्रवणमात्र से भय भासिज्ज-बोले १०८० उत्पन्न करने वाली ८११,८३७ भासिया भाषण की ७६७ भीमा रौद्र शब्द . ६५७, ६४०, १०४० भासियंम्भाषण को E६१ भीमो-भीम, बलवान् १०४५, १०४७ मासिय मापस करना MAY| मीय डरी हुई मासम्माषा Reve मामयभीत होती हुई ६८२ ८२

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