Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 618
________________ शब्दार्थ-कोषः] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । [४३ ८०४ बंमयारी-ब्रह्मचारी ६३६ | बहुमाई-बहुत छल करने वाला ७११ बम्भयारिं ब्रह्मचारी को ६६६ | बहुविहं-नानाविध, अनेक प्रकार के ८५२ बम्भयारिस्स-ब्रह्मचारी को ६६९, ६७१ | बहुयाणि=बहुत बंभयारिस्स-ब्रह्मचारी ६६७, ६७५, ६८० बहुस्सुआ-बहुश्रुता ७६ ६८१,६८३, ६८५ | बहुहा=बहुत प्रकार से ५६१ बम्भयारियस्स-ब्रह्मचारी को । बहुजण=अन्य बहुत से पुरुष ६७४ बम्भचेरे ब्रह्मचर्य में ६६६, ६७१ बंड-अतीव ५६१,६७६, ११२२ ६७३, ६७५, ६७८, ६८०, ६८१ बहू-बहुत पार ८२८, १०१४, १०५६ ६८३, ६८५ बहूजिया बहुत से जीव बम्भवेर-ब्रह्मचर्य के ६६३, ६६४, ६६५ बारगाओ-द्वारका से ६७० ६८५, ६६०, ६६८ ६७४ बारगाउरिं-द्वारकापुरी को बारसंग-द्वादशाङ्ग के १००३ बम्भचेरएओ=ब्रह्मचर्य में रत ६८७,६८८ बाला-अभिनव यौवना ६६१, ६६२, ६६३ बालुया बालू के बम्भचेरस्स-ब्रह्मचर्य की ६८७ बाले-विवेकविकल ৩০ बम्भचेरेण-ब्रह्मचर्य से . ११३० बावत्तरी-बहत्तर (७२) २६. बम्भणे-ब्राह्मण ११३४ बाहाहि भुजाओं से ८०३, ६८२ बम्भणो ब्राह्मण होता है ११२६, ११३० किलो |वित कहने लगे ७९२, ८१०,८४०, ८४१ ११३१, १११७ | | बिलजिए-मूषक आदि के बिलों से बंभलोगाओ-ब्रह्मलोक से , - रहित हो १०८८ बलभद्द-बलभद्र ___७७० बीए-दूसरी एषणा में १०८२ बलवन्ति बलवान है ११२७ बुद्ध-बुद्ध ने, सर्वज्ञ ने ११३२ बला-बलात्कार से ८२३ | | बुद्धा-प्रतिबोध को प्राप्त हुए बलाबलंबलाबल को ६३७ | बुद्धे-बुद्धों की ७३८, ७४१, १०००, १००३ बलसिरी-बलश्री मामा ७७१ | बुवन्तं बोलने पर उसके प्रति १०१६, १०२० बहवे बहुत से १०३५, १०४६ १०३६, १०४०, १०४३ बहिसंसार से बाहर ५८४, ५६० | बुवाणं-बोलने पर उसके प्रति १०२७ बहिसाबाहर ११०१ १११७, १११८ बहुअंतरायं-बहुत से अन्तराय को ५८७ . १११६, ११२१ बहुकायरा-बहुत से कातर ६४१,८६८ दूहइत्ता-पोषण करके ६०४ बहुकाल बहुतं कालपर्यन्त ५६५ बूहि-कहो १११२ बटुंजणं बहुत जनों को १६५ | बेमि मैं कहता हूं, ६६०, ७६६ बहुयाणिविणासणं-बहुत से प्राणियों बेहिलाभंबोधिलाभ को ७०३ ... का विनाशन रूप ६६६ | बीयाणि=बीजों बूम-कहते हैं

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