Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 639
________________ उत्तराध्ययनसूत्रम् [शब्दार्थ-कोषः ८२० 5६३ | ७६8 सामण्णम् श्रमण धर्म का सादी स्वाधीन है ५६६ सामण्णस्सम्श्रमण भाव का. सक्खिए-सीख गया २६ सामण्ण-संयम के ८०१ सिंगारत्थं शृङ्गार के लिए सामण्णे श्रमण भाव में ७६०, ७६२, ८७१ सिंघाण-नासिका का मल १०८५ सामिसं-मांस के सहित सिंचामि मैं सिञ्चन करता हूँ १०४२ सामुदाणियं-बहुत घरों की भिक्षा ७१८ सिज-शय्या १००४, १००० सामेहि-श्याम सिजा-शय्या ७०४ साया-साता रूप ८३६ सिझंति-वर्तमान में सिद्ध होते हैं ७०० सारभंडाणि-सार वस्तुओं को ___७६१ सिज्झस्संति-भविष्यकाल में सिद्ध होंगे ७०० सारहि-सारथि को सिणायओ-स्नातक ११३२ सारहिस्स-सारथि के प्रति सिणाणं-स्नान ६४६ सारही सारथि १६५ सित्ता-सिञ्चन की गई १०४२ सारं प्रधान धन ६२३ सिद्धा-पहले सिद्ध हुए ७०० सारंपि=सार वस्तु भी ८८५ सिद्धाणं-सिद्धों को ८६५ सारीर-शारीरिक और १०६२, ८११ सिद्धि-सिद्धगति को ८५६, ६६४, ११४२ सावए श्रावक १२५, ६२६, ६२६ सिद्धी-मोक्ष १०६५ सावत्थि श्रावस्ती नाम | सिद्धे-सिद्ध सावत्थिम् श्रावस्ती नगरी में १००३ / सिप्पिणो शिल्पी लोग .६५१ सावजजोग-सावध व्यापार को ६३६ सिबलि शाल्मलि , ८१८ सासए-शाश्वत है ७०० सिया हो अर्थात् कल को मैं अमुक सासणे-शासन में ६३७ ६३७ काम करूँगा .. ६११ सासयंवासं शाश्वत वासरूप है १०६६ सिरसा सिर से १२३, १०६८, ७६५ सासणो भगवान का शिक्षारूप शासन सिरं मोक्ष रूप लक्ष्मी को , ७६५ जिसका ८५८ | सिरे सिर पर ६६० साहसिओ साहसिक १०४५, १०४७ | सिलोगा-श्लोक साहस्सीओ-सहस्रों-हज़ारों १०१४ | सिलोग-श्लाघा और साहणा-साधना १०२६ | सिवा नाम-शिवा नाम वाली थी १५४ साहस्सीए-सहस्रों पुरुषों से १७१ सिवम् सर्वोपद्रवरहित १०६२ साहाहि-शाखाओं का | सिवंशिव १०६५ साहु-श्रेष्ठ है १०२५, १०६७ | सिवियारयणं शिविका रन में १७० साहुणा-साधु के द्वारा ८७५ सीउएह-शीत और उष्ण साहुस्स-साधु के ७७५ सीओसिणा-शीतोष्ण . ६४२ साहुं-साधु को ८६७ | सीयन्ति-लानि को प्राप्त हो जाते हैं। साहू-हे साधो! ८२८, ६४१ १११२। ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 637 638 639 640 641 642 643 644