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उत्तराध्ययनसूत्रम्
[शब्दार्थ-कोषः
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सामण्णम् श्रमण धर्म का
सादी स्वाधीन है
५६६ सामण्णस्सम्श्रमण भाव का.
सक्खिए-सीख गया
२६ सामण्ण-संयम के
८०१ सिंगारत्थं शृङ्गार के लिए सामण्णे श्रमण भाव में ७६०, ७६२, ८७१ सिंघाण-नासिका का मल १०८५ सामिसं-मांस के सहित
सिंचामि मैं सिञ्चन करता हूँ १०४२ सामुदाणियं-बहुत घरों की भिक्षा ७१८ सिज-शय्या १००४, १००० सामेहि-श्याम
सिजा-शय्या
७०४ साया-साता रूप
८३६ सिझंति-वर्तमान में सिद्ध होते हैं ७०० सारभंडाणि-सार वस्तुओं को ___७६१ सिज्झस्संति-भविष्यकाल में सिद्ध होंगे ७०० सारहि-सारथि को
सिणायओ-स्नातक
११३२ सारहिस्स-सारथि के प्रति
सिणाणं-स्नान
६४६ सारही सारथि
१६५ सित्ता-सिञ्चन की गई १०४२ सारं प्रधान धन ६२३ सिद्धा-पहले सिद्ध हुए
७०० सारंपि=सार वस्तु भी ८८५ सिद्धाणं-सिद्धों को
८६५ सारीर-शारीरिक और १०६२, ८११ सिद्धि-सिद्धगति को ८५६, ६६४, ११४२ सावए श्रावक १२५, ६२६, ६२६ सिद्धी-मोक्ष
१०६५ सावत्थि श्रावस्ती नाम
| सिद्धे-सिद्ध सावत्थिम् श्रावस्ती नगरी में १००३ / सिप्पिणो शिल्पी लोग .६५१ सावजजोग-सावध व्यापार को ६३६ सिबलि शाल्मलि , ८१८ सासए-शाश्वत है
७०० सिया हो अर्थात् कल को मैं अमुक सासणे-शासन में
६३७
६३७ काम करूँगा .. ६११ सासयंवासं शाश्वत वासरूप है १०६६ सिरसा सिर से १२३, १०६८, ७६५ सासणो भगवान का शिक्षारूप शासन सिरं मोक्ष रूप लक्ष्मी को , ७६५ जिसका ८५८ | सिरे सिर पर
६६० साहसिओ साहसिक १०४५, १०४७ | सिलोगा-श्लोक साहस्सीओ-सहस्रों-हज़ारों १०१४ | सिलोग-श्लाघा और साहणा-साधना
१०२६ | सिवा नाम-शिवा नाम वाली थी १५४ साहस्सीए-सहस्रों पुरुषों से १७१ सिवम् सर्वोपद्रवरहित १०६२ साहाहि-शाखाओं का
| सिवंशिव
१०६५ साहु-श्रेष्ठ है १०२५, १०६७ | सिवियारयणं शिविका रन में १७० साहुणा-साधु के द्वारा ८७५ सीउएह-शीत और उष्ण साहुस्स-साधु के
७७५ सीओसिणा-शीतोष्ण . ६४२ साहुं-साधु को
८६७ | सीयन्ति-लानि को प्राप्त हो जाते हैं। साहू-हे साधो!
८२८, ६४१
१११२।
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