________________
शब्दार्थ-कोषः]
हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
[६५
wwwwwwwwwwww
७०३
७४६
११३१
..
1 ८३४ सुसंभंतो-संभ्रान्त हुआ
सीयं-शीतल आहार ६५६, ८१४ सुणित्ता-सुनकर सीय-शीत की
८१४ सुणेमाणस्स-सुनते हुए सीयाओ=शिविका से
१७१ | सुणेमाणे-सुनने वाला सीलट्ठ-शील युक्त और ७७४ | सुणेमि-सुनना चाहता हूँ सील-शील की ६८६ सुणेहि-सुनो
८८ सीला-स्वभाव ६२० | सुणेह-सुनो
८६५, ८७६ सीलाणि-शील ६३४ | सुत्तगं-कटिसूत्र को
६६८ सीलवन्ता-शील वाली और | सुदुक्करं अतिदुष्कर है ७९६, ७६८, ७६७ सीसगाणि-सीसे को ८३२
८०६, ८०५ सीससंघ शिष्य-समुदाय से १०१० सुदुक्खिए-अति दुःखितों को ६६३
१००३, १००० सुदुरं-अति दुश्वर है सीससंघाणं-शिष्य वर्ग को १००५ सुदुल्लहं-अतिदुर्लभ है ८४, ९८४, ७०३ सीसे-शिष्य
१००२, ६६८ | सुद्धाहि-विशुद्ध सीसाणं-शिष्यों के
१००६ सुद्धेण-शुद्ध सीसो-शिष्य था . ६२५ सुद्दो-शूद्र सीहू-सीधु
८७५ सीहोन=सिंह की तरह ६३७ सुपट्टिो -सुप्रस्थित हैं
८९७ सुअणु-हे सुन्दर शरीर वाली ६८३ / सुपरिचाई-भली प्रकार से संसार को सुए-कल ६११, ५६१, १००० - छोड़कर सुएण-श्रुत के पठन से
७०४ | सुपालओन्सुपालक है १०२३ सुकुमालो-सुकुमार है ८०१ | सुमेरवं-अतिरौद्र शब्द करते हुए ८१६, ८३२ सुकुमालं-सुकुमार-कोमल शरीर सुभासिय-सुभाषित को ६६२, ६१४ __वाला और
____८६७ सुमजिओ-सुमज्जित है । सुक्क-सूखा हुआ
११४०
| सुयसीलतवो-श्रुत, शील और तप १०४४ सुक्खा -सुख है
५६५ | सुयसील-श्रुत और शील का १०६६ सुक्खो-शुष्क
११३६ सुयधाराभिहया श्रुतधारा से ताड़ित १०४४ सुगन्धगन्धिए सुगन्ध से सुगन्धित १७२
६३३, ६६३, ७०६ सुग्गीवे-सुप्रीव नामा | ৩০
सुया पुत्र सुचिणं-अर्जित किया हुआ ५८५ सुयाणि-सुने हैं सुच्चा-सुनकर ७५०, ६१४,६६२ सुयरस्सी -श्रुत रश्मि के द्वारा १०४६
१३७, ६६३ सुरलोयरम्मे-देवलोक के समान सुठु-भली प्रकार ११८, ११३५ / ' रमणीय सुट्टिया भली भांति स्थिर हुई ८६ | सुरा-सुरा सुण-श्रवण कर
- १०७६ सुरूवे-सुरूप और १२६, ६८३
स्य
७३२ ७७६
८३४