Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

View full book text
Previous | Next

Page 622
________________ ८३ ७७५ शब्दार्थ-कोषः ] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । [४७ मच्छो वा-मत्स्यवत् ८२६ । मणपल्हायजणणी मनको आनन्द मज्म-मेरा ८८०, ८७२, ८८४,८५,८८६ देने वाली ८८७,८८८,८६०, ६६७ | मणगुत्तिओ मनोगुप्ति १०८८ मज्झिमगाणं-मध्य का, तीन मुनियों मणोगुत्ती=मनोगुप्ति १०७२ - का कहा ...१०२३ मणगुत्तो-मनोगुप्त ६६४ मज्झिमा मध्य के–मध मणपरिणामो-मन के परिणाम १६६ के मुनि १०२१ । मणहारिणो मन को हरण करने वाले १११५ मज्झे-मध्य में १०३१ | मम मेरे ७३६, ८८५,६७६ मझ मेरे को ६२२, ७४४, १०२५, १०४६ | ममं-मुझे मत्तं-मद से भरा हुआ ६ ६० | ममत्तं-ममत्व को मन्तं मंत्रः ६४६ | ममत्तबंध-ममत्व और बन्धन को मन्त-मंत्र ८८३ बढ़ाने वाले ८६३ मन्नसी मानते हो १०५२, १०६२ मयं मरे हुए के साथ ७३२, ७३३ मन्ने-मैं जानता हूँ मयविवड्डणं-मद बढ़ाने वाला ६६१ मन्दपुरणेणं-मन्दभागी ने . ७२६ मरण-मृत्यु से ७८३, ८१२, १०५४ मंदरो मन्दिर नामा ८०७ मरण मृत्यु मट्टियामया मृत्तिकामय, मिट्टी के ११३६ मरणाणि-मरण का दुःख ८४, ८१२ मणसा-मन से ११२३ मरणे-मरण में मंडले-समीप था १००४ मरणेण-मृत्यु से ७६१ मण्डिकुच्छिसि मंडिक कुक्षि नाम वाले ८६६ मरिसेहि-आप क्षमा करें ६२० मखा-थोड़ा सा ७२६ मरिदिसि मरेगा ६२६ मण-मन को १८६१ मरुमि मरुभूमि के वालुका के समान ८१६ मणुस्सा-मनुष्य ८७६ मल-मल १११६ मगुस्सजम्मं मनुष्य जन्म ६१६ मल्ल-माला आदि पह मशुस्सिन्दो-मनुष्यों का राजा ७५३, ७५७ मसगा-मशक ६४२ माणावमाणओ-मान और अपमान में ८५५ मंस-मांस और ११२० मणो मन ७३७, १०४७. मंसट्ठा-मांस के लिए ६६३ मण-मन ६५४ मंसाई-मांस के मणोरमे मनोरम ६२६, ११०१ महराणवाओ-संसार रूप समुद्र से ७७६ मणोरमाई मनोरम-सन्दर ६७२.६७३ महत्थत्थ-महार्थ-मुक्ति के अर्थ का, मणोहराई-मनोहर-मन को हरने साधक शिक्षा व्रतादिरूप अर्थ : वाले ६७२, ६७३ ... १०६६ मणोरमा-मन को आनन्द देने वाली ६६४ | महडिओ=महती-ऋद्धि वाला ७५२, ७५३ मणिरयण-मणिरत्न ७७३ | ह ८५५

Loading...

Page Navigation
1 ... 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644