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शब्दार्थ-कोषः ] हिन्दीभाषाटीकासहितम् ।
[४७ मच्छो वा-मत्स्यवत्
८२६ । मणपल्हायजणणी मनको आनन्द मज्म-मेरा ८८०, ८७२, ८८४,८५,८८६ देने वाली
८८७,८८८,८६०, ६६७ | मणगुत्तिओ मनोगुप्ति १०८८ मज्झिमगाणं-मध्य का, तीन मुनियों मणोगुत्ती=मनोगुप्ति १०७२ - का कहा ...१०२३ मणगुत्तो-मनोगुप्त
६६४ मज्झिमा मध्य के–मध
मणपरिणामो-मन के परिणाम १६६ के मुनि
१०२१ । मणहारिणो मन को हरण करने वाले १११५ मज्झे-मध्य में १०३१ | मम मेरे
७३६, ८८५,६७६ मझ मेरे को ६२२, ७४४, १०२५, १०४६ | ममं-मुझे मत्तं-मद से भरा हुआ
६ ६० | ममत्तं-ममत्व को मन्तं मंत्रः
६४६ | ममत्तबंध-ममत्व और बन्धन को मन्त-मंत्र ८८३ बढ़ाने वाले
८६३ मन्नसी मानते हो १०५२, १०६२ मयं मरे हुए के साथ ७३२, ७३३ मन्ने-मैं जानता हूँ
मयविवड्डणं-मद बढ़ाने वाला ६६१ मन्दपुरणेणं-मन्दभागी ने . ७२६ मरण-मृत्यु से ७८३, ८१२, १०५४ मंदरो मन्दिर नामा
८०७ मरण मृत्यु मट्टियामया मृत्तिकामय, मिट्टी के ११३६ मरणाणि-मरण का दुःख ८४, ८१२ मणसा-मन से
११२३ मरणे-मरण में मंडले-समीप था १००४ मरणेण-मृत्यु से
७६१ मण्डिकुच्छिसि मंडिक कुक्षि नाम वाले ८६६ मरिसेहि-आप क्षमा करें ६२० मखा-थोड़ा सा ७२६ मरिदिसि मरेगा
६२६ मण-मन को
१८६१ मरुमि मरुभूमि के वालुका के समान ८१६ मणुस्सा-मनुष्य ८७६ मल-मल
१११६ मगुस्सजम्मं मनुष्य जन्म ६१६ मल्ल-माला आदि
पह मशुस्सिन्दो-मनुष्यों का राजा ७५३, ७५७ मसगा-मशक
६४२ माणावमाणओ-मान और अपमान में ८५५ मंस-मांस और
११२० मणो मन ७३७, १०४७. मंसट्ठा-मांस के लिए
६६३ मण-मन
६५४ मंसाई-मांस के मणोरमे मनोरम ६२६, ११०१ महराणवाओ-संसार रूप समुद्र से ७७६ मणोरमाई मनोरम-सन्दर ६७२.६७३ महत्थत्थ-महार्थ-मुक्ति के अर्थ का, मणोहराई-मनोहर-मन को हरने साधक शिक्षा व्रतादिरूप अर्थ : वाले ६७२, ६७३
... १०६६ मणोरमा-मन को आनन्द देने वाली ६६४ | महडिओ=महती-ऋद्धि वाला ७५२, ७५३ मणिरयण-मणिरत्न
७७३ |
ह
८५५