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उत्तराध्ययनसूत्रम्
[शब्दार्थ-कोषः
६८७
१८४ ८०६
जन
म
८२६
६७२
भुच्चा-खाकर ७०५ | भोगी भोगी जीव
११३८ भुंज-भोग
८०६ भोगे-भोगों को ६३०, ८६६, ८७४, ८७७ भुंजामुम्भोगें जो
६१६ भोगेसु-भोगों से ८६०, ६६५, ११२६, ११३८ भुंजामि-भोगता हूँ ८७७ भोगेहि भोगों के द्वारा
१२० भुंजाहि-भोगो
६१८, ८७४ भोचा-भोगकर भुज्जोवि=फिर भी
६०६ भोचाण-भोगकर @जिमो-भोगें ६८४ | भोत्तु-खाने के लिए
७०४ भुत्ता भोग लिए ५६३, ६१७, ६६०, ६६५ | भोत्तुं भोगना-खाना
७८० | भोभिक्खू हे भिक्षो! ११०५ भुतभोगा=भोगों को भोगकर
भोयणं भोजन
६५३ भुत्तभोगी-भुक्तभोगी होकर
भोम-भूकम्पविद्या भुत्ताण-भोगे हुए . ६ भोयावेउं भोजन करवाने के लिए १६५ भुयंगो-सर्प
६१६ भुयाहि-भुजाओं से
८०८ भुसुंदीहिं-भुशुण्डियों
मउआ-मृदु, कोमल भूसणं-शृङ्गार
६६६ मए मैंने ७२६, ७७४, ७०, ८११, ८१२ भूयाणं भूतों का
,१०१६ ८१३, ८१४, ८३६, ८३६, ८८६, १२० भूएहिं भूतों में
६३६ मए समाण मेरे साथ मे-आप
मगरजालेहि मकराकार जालों से ८२६ मेद-संयम का भेद ६७१, ६७३, ६७६ मगहाहिवो मगध का अधिपति ८६६,८७३
६७८, ६८०, ६८१, ६८३, ६८५ मगहाहिवा-हे मगधाधिप ! तू ८७५ भेयं भेद
६६७,६६६ | मग्गं मार्गका ६००,६१३, ६१४, १०४६ भोर-हे प्रिये !
मग्गगामी–मुक्तिपथ में गमम करने वाला भोइय-भोगिक पुत्र
११०० भोई हे प्रिये !
६१६ | मग्गे-मार्ग में ६१६, १०५०, १०५१, १०६८ भोए भोगों को ५६०, ६१७, ६१६, ६२३
. १०७५ ७५६, ८०६, ६८४ | मग्गेण-मार्ग से १०४६, २०७४ भोगकालम्मि-तू भोगकाल
में ८७१ मघवनाम-मघवा नाम वाला और ७५२ भोगरसाणुगिद्धा-भोगरसों में निरन्तर मच्चु-मृत्यु के आसक्त होकर
६१३ मच्चुं-मृत्यु भोगरायस्स-उपसेन की पुत्री हूँ | | मच्चुणा-मृत्यु के साथ ६०८, ६११ भोगा-भोग
- ७८० मच्चुमुहं-मृत्यु के मुख में ६१० भोगाई-भोगों को . ६१८ मच्चू-मृत्यु
१०६३ भोगाणं भोगों का
७८६ मच्छा-मत्स्य उसी तरह
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