Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 608
________________ ६२२ शब्दार्थ-कोषः ] हिन्दीभाषाटीकासहितम् । [३३ न हवंति नहीं होते ५६३ | नारीणं-नारियों से ६६४ नहिंसइ हिंसा नहीं करता ११२१ नावा-नौका भी १०५६, १०५७ नहे-आकाश में | नाविन्न ८४८ न होर-नहीं होता ५८८,६०२ | नाविओ-नाविक १०५८ नाइदूरम्-न अति दूर और ८७० नावित्त-नौका है इस प्रकार १०५८ नाइसंगे-ज्ञानियों का संग ११२६ नावणए-न अवनत ६४५ नाई-ज्ञाति से ८७४ नावबुज्झसे नहीं जानता ७३१ नागो हाथी ६३३, ६६२ नावचिट्ठे बाद में नहीं ठहरता ६०१ नागराया=नागराज गजेन्द्र १४१ | नासन्ने प्रामादि के अति समीप न हो १०८८ नाणा-नाना प्रकार, ७४६, ८६६ नासन्ति-नाश पाते । १०४६ नाणेण-ज्ञान से . ८५६, ११३० नाहिई-जानेगा ६१० नाणेणं-ज्ञान से ६७३ नाहि-जानो ८७२ नाणं-ज्ञान . ७४८, १०२६, १०७५ नाहो-नाथ ८७२, ८७३, ८७४, ८७५, नाणगुणोववेयं-ज्ञानगुण से युक्त है ११४ ___८६५, ६२० नाणाविहन्नानाविध . १०२८ | निक्वंता-संसार को छोड़कर दीक्षित नाणघरे-केवल ज्ञान के धरने वाला ६४८ ७६२ नाणोवगए पदार्थों के जानने से उपगत | निक्वन्तो दीक्षित हुआ ७३६,७५६, ११४१ ... होकर ६४८ निक्खमई श्रमणवृत्ति प्रहण करली ६७१ नाणुचिन्ते-चिन्तन न करे ६९० निक्खमिय-निकल कर ६७० नाणुन्वयंति नहीं जाते ७३२ निक्खिवन्तो-रखता हुआ १०८३ नाणुगमिस्सं न जाऊँ ६१६, ६२२ निक्खमणं निष्क्रमण को १६६ नाम संभावनार्थ में है ५६३, ७३६, ८० निक्खिवेजा-निक्षेपण करे १०८४ १२५, १०००, १००४ निक्खेव-निक्षेप में, तथा १०० नाम-नाम से प्रसिद्ध १५४, १००२ | निग्गओ-घर से निकल गया नामो नामवाला कुमार निग्गन्थे-निम्रन्थ ६६६, ६६७, ६६६, ६७० नामए नाम से वह प्रसिद्ध हुआ १२८ ६७२, ६७३, ६७५, ६७६, ६७८, ६८० नामओ-नाम से प्रसिद्ध १०६६ ६८१, ६८३, ६८५, ६२६ नामेणं-नाम से ७२२, ७३६, ६५२, निग्गन्थस्स-निम्रन्थ को ६६७, ६६६, ६७१ ___६६८, ११०२ ६७२, ६७५, ६८०, ६८१ नायो-ज्ञाति सम्बन्धी जन ८५३ निग्गन्धस्स बम्भयारिस्स-निम्रन्थ नायम्-जानते हुए ब्रह्मचारी के नायए-शातपुत्र श्रीमहावीर ७४१ निगिण्हामि=पकड़ता हूँ १०४६, १०४८ 'नारिओ-नारियाँ 8. निग्गिण्हत्ता-निग्रह करके... १३६ ह

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