Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 615
________________ ४० ] पाउकरे = प्रकट करते हुए ७४१, ७४८, ११३२ पाउणिज्जा = प्राप्त होवे ६६७, ६७१, ६७३ ६७६, ६७८, ६८०, ६८१, ६८३ पाउरणं=वत्र पाए= पाँवों को पाए = चरणों को पाडियो = भूमि पर गिराया गया पाडियो = मारकर भूमि पर गिराया जाता है. पाण= पान पाणं= पानी पाणगं= पानी - पाणभोयणं-पान और भोजन उत्तराध्ययन सूत्रम् निवृत्ति पाणाणि प्राणियों का पाणस्स = पानी, के. पाणा - प्राणी 1. पाणाइवायविरई = प्राणातिपात की - पाणिणो=प्राणी: पाणियं = पानी पाणे = प्राणियों ८७० ८२० १०५६ ७४५ ६२५ ६२८ ६८५ पालियस्स = पालित श्रावक की ७०४ पालियाणं - पालन करके १६ ७२७ | पावकम्मुणा=पापकर्म से हेतुभूत हैं ८२१ ११२७ ६०६ ८१६ ७४२ ८२३. ६६१, ८४४, ८८६ ६५४ ६८१ ८४५ ६६४ पारस्स= पार पालि = पल्योपम वा पालिए = पालित पावकम्म = पापकर्म पावकम्मो = पापकर्म वाला ८२१ | पावकारिणो=पापकरने वाले हैं. ६५३ पावकम्मेहिं = पापकर्मों से पावर्ग = पावक से १११६ पावयणे = प्रवचन में २६ पावसमणित्ति = पापश्रमरण इस प्रकार ७०५ ७०६, ७०७, ७०८, ७०६, ७१०, ७११ ७१२, ७१३, ७१४, ७१५, ७१६, ७१७ ७१८ ६७३ ८२३ ६०६ ६३१ ७२६, ७७४, ८६७ १०३५ ८१८ पाणहेडं = पानी के लिए . पाणिण = प्राणियों को १०५२, २०५४, १०५६ ७६३ पावसुप्राप्त हो ७०७ | पाविओ = पाप करने वाला मैं [ शब्दार्थ-कोषः ११०८ | पाव = पापकर्म पासइ = देखता है, १०६०, १०६१, १०६२ पासई = देखता है ६६५, १०५६ | पासबद्धा = पाश से बँधे ८४६ | पासबद्धेणं=पाशबंध से -६६३, ११२१ पालवणं = मूत्र पापगं=पापरूप है में ६३२ | पासा=पाश पायताणीप= पदातियों की अनीका से ७२३ पायकम्बलं=पादपुंछन ७०८, ७१० पायवे = वृक्ष में- पर ८१८ पासाद= प्रासाद पासाओ=पास से पासाय= प्रासाद के ७७३ ६०२ पासायालोयणे = प्रासाद के गवाक्ष में ६३१ ६३३ पार = पारगामी पारगा=पारगामी पारगे = पारगामी पारणे = पारणा के लिए पारंपार को ६३२ ७२६, ८६८, ६६३ ६६८ ७३६, ११३६ पासि = समीप १००२ | पासिऊण - देखकर ११०३ पासिता = देखकर १०५६ | पासित्ति= पार्श्व इस १०८५ १०३६, १०३७ ७७२, ६३० ८६०

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