Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 602
________________ शब्दार्थ- कोषः ] "तिलो विस्सुतं = तीन लोक में विश्रुत ८६१ तिब्वा = तीव्र १०३७ तिविहे - तीनों योगों से ६५४, ११२१ त्ति बेमि= इस प्रकार मैं कहता हूँ ६३८ ७२१, ८६३, ६६५, १०७० १०६७, ११४२ ६८१ ६५४, ६५८, ६६२ ६५६, ६८७, ७०३, ७४३ ७६५, ७८७, ७८६, ७६२, ८०२ ८६८, ६०५, ६१०, ६६३, ६६७ १०१६, १०२०, १०२३, १०२७ १०३२, १०३६, १०४०, १०४३ १०५१, १०६७, १०६८, १०६३ १९३४ तीsa= उसने भी तीसे= उसका तु वितर्क अर्थ में तुंगे-ऊँचे तुझं आपको तुट्ठे-तुष्ट हुआ हर्षित हुआ तुडियाणं =वादित्रों के तुत्त=तोत्रों से तुम्भ आप के सुभ-आपके तु मे= आप तुम्मे आप दोनों की तुम = तुम तुम तुम तुमे आप तुयहणे - शयन करने में |तुरियं = शीघ्र तुलाए= तुला से हिन्दीभाषाटीकासहितम् । | तुहं तेरा होवे ते वे देवता [ २७ ६३८, ६६४, ६६५, ७०६, ७३० ७३७, ७४४, ८७३, ८४, ६२० ६७४, ६८३, ६८६, ६८, १००६ १०१६, १०१७, १०१६, १०२५ १०२६, १०३१, १०३३, १०३५ १०३७, १०४२, १०४६, १०६७ १०७०, ११०४, ११०६, ११३३ तेण= उसके द्वारा ७३३, ७३४, १०२१, १०४५ तेणं = उस तेपण = तेज से ६६३, ६७६ ७२६ १००१, ११०२ तेणेव = उसी तेणावि = उसने भी तेल्ले = तेल ७३४ ६०१ तेरिच्छं = तिर्यग्सम्बन्धी ११२३ तेसिं= उन के लिए ५८८, ६५१, ६५२, ७७१ ११०५, ११०८ ८६५, १०४६, ११०६ ८०७ १०७० ८१८ ६१६, ६६५ तो = तदनन्तर ११३५ | तोलेउं = तोलना १८, ११९०७ | तोसिया = सन्तुष्ट हुई थ ६६१ ८२१ ६२० | ५६६, ७२६ ६१६, ११३६ | थद्धे=अहंकारयुक्त |७६१, ८५१ | थावराण = स्थावरों का ८०१,८०,११० ८७२, ६१६, १०३१, १०४१ थणिय= स्तनित थणियस६ = रति समय में किया हुआ स्तनित शब्द ६१८ | थावरे =स्थावर थावरे सु = स्थावरों में थीजणाइण्णो = स्त्रीजन से आकीर्ण १०६३ | थीकहा=स्त्रीकथा ६७२, ६७३ | थीकहं = स्त्रीकथा को ८०७ |थीण स्त्रियों के थीहिं-स्त्रियों से ६२५, ८३३, ८३४ ५८२, ५८४, ५८५, ५६१ | थुणित्ताण = स्तुति करके ५६३, ६१६, ६१६, ६२२, ६३६ | थेरेहिं = स्थविरों ने ६६० ६७५,६७६ ७०६, ७११ ८६५ ११२१ ८५४ ६६४ ६६४ ६८७ ६८६,६६० ६८८ २१ -६६३, ६६४, ६६५

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