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उत्तराध्ययनसूत्रम्
[शब्दार्थ-कोषः
७२६
७१६
१०३
अभिक्खं वार वार
६२३ | अम्मापियरो-माता पिता को ७६२, ८१०, अभिक्खणं-वार वार ६८८,७०६,७१४,७१५ |
८४०,८४१, ६३३ अभिनिक्खम्मघर से निकलकर ६२३ अम्मापिऊण-माता पिता को ७७१ अभिजायसड्डा-उत्पन्न हुई है मोक्ष में
अम्मापिऊहि-माता पिता की ८५० जाने की श्रद्धा जिनमें ५६ | अम्मो-हे माता
७७६ अभिगम्म आश्रित करके ६००
अम्मीति-हूँ, इस हेतु से अभिभूय-परिषदों को जीतकर ६४२, ६५८ अम्हं-हमारे ऊपर
११३७ अभिरोयएजा-अभिरुचि करता हुआ | अयजत्तं-अपर्याप्त हैं, तेरी तृष्णा को ।
६३४, ६३६
पूर्ण करने में असमर्थ हैं ६२५ अभिलसणिजे-अभिलषणीय प्रार्थनीय६८३
अयंपिव-लोहे की तरह .. ८३२ अभिलसिजमाणस्स-प्रार्थना किए हुए ६८३
अयं यह
१०४५ अभिवन्दिऊण-वन्दना करके १२३
अयन्तिए-अनियमित
१०३ अभिवन्दित्ता-वन्दना करके १०६८
अयंसिलोए-इस लोक में अभोगी-जीव
११३८ अयंसि-इस
७२१ अममे ममता रहित
| अरइ-अरति
६४६ अमहग्धए अल्प मूल्य वाला | अरए रति रहित
७१४ अमयं न-अमृत की भाँति ७२१
| अरजंतो-राग़ न करता हुआ अमित्तम्-शत्रु है
अरणीअम्बरणी से अमित्ते-मित्र रहित
| अररणे-बन में '६२८,८४१,८४२ अमुत्तभावा-अमूर्त होने से ०३ अरणं-विषय-विकार को त्याग कर अमुत्तभावावि-अमूर्त भाव होने पर भी ६०३ अथवा आरत होकर कर्मरज से अमोहा-शस्त्र धारा ६०७, ६०८
रहित होकर
७५५ अमोहाहि अमोघ
६०६ |
अरहा-अर्हन् । ६६८ अब्बवी कहने लगा ७७८, ६३२, ६६३,
अरिट्टनेमि-अरिष्ट नेमि १५४, ६५५, ६७४ १०१६, १०१७, १०२०, १०२७, |
अरी-शत्रु
८१,६१० १०३२, १०३६, १०४०, १०४३, |
अरो-अरनामा चक्रवर्ती . ७५५
१०५४, ११०८ | अलाभ-अलाभ अब्भुवग्णओ प्राप्त हुआ
अलाभया मांगने पर न मिलना - E8 अब्भाहओ लोगो पीड़ित किया लोक ६०७ | अलि अलिप हैं
११२४ अब्भाहओ-पीड़ित है ६०८ | अल्लीणा-इन्द्रियों को वश में रखने वाले १००४ अब्भाहयमि-पीड़ित हुए ६०६ अलोलुयं लोलुपत्ता से रहित ११२५ अम्ब-हे माता
८५१ | अवउज्झई-छोड़ देता है ७१०, ७६१ अम्म-हे माता
७८० | अवचिय-अपचित कम हो गया है ११२० अम्मापियरं माता पिता के पास ७७८,८५२ अबन्धणो बन्धन से रहित ८५६