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दार्थ कोषः ]
हिन्दीभाषा टीकासहितम्
[१५
६११
किंपागफलाणं-किम्पाक वृक्ष के फलोंका ७८६ | कुले कुले= घर घर में ८०७ कुले गन्धणा=गन्धन कुल में उत्पन्न हुए ६०६ के समान ७७२, ६३०
कीबेणं क्लीब पुरुषों को कीयगउ = क्रीतकृत
कुलेसु=कुल में
७३४ कुब्वन्ति = करते रहे
कीलए= क्रीड़ा करता है कीलन्ति = क्रीड़ा करते हैं। की संति-क्लेश पाते हैं कुभो कहाँ से
कुकुइए=कुचेष्टायुक्त
कुग्गहीयं =कुगृहीत हनता है कुश्च कूर्च
कुंषा-क्रौंच पक्षी
कुंचिए - कुटिल
कुट्टिओ = सूक्ष्म खंड रूप किया ८३१, ८३२
७७३
कुट्टिमतले = कुट्टिमतल से युक्त कुडुन्तरंसि = कुड्य - पत्थर की आदि में
कुटुंब=कुटुंब कुडे = भीत पर कुण्डलाण=कुंडलों का कुण = करता हैं
कुणमाणस्स करते हुए की
कुप्पहा-कुपथ
कुमरो=कुमार
कुमारगा=कुमार
कुमारदोवि= दोनों कुमार कुमारेहिं = लोहकारों से
कुर=पक्षिणी की
कुललं = गृद्ध-पक्षी को
७८४ | कुस=कुशा
६४५ कुसचीरेण = कुश वस्त्रों से, कुशा आदि तृणों के पहनने मात्र से
७१३
६०६ कुसलसंदिट्ठे-कुशलों द्वारा संदिष्ट ६७७ कुसला = कुशल ६२२ कुसीला कुशीलियों के ६७२ | कुसीलरूवे = कुशीलरूप
कुसीललिंग-कुशील लिंग को कुसुम-कुसुमों- पुष्पों से
कुलं कुल कुले कुल में
दीवार
६७५, ६७६
६२३
११३६
६६८
८४१
६०६, ६१०
कुद्ध=कुपित हुआ
कुडो-कुंद्ध हुआ कुन्यू नाम-कुंथुं नाम वाले कुप्पचयण-कुप्रबचन के मानने वाले २०५१
२०४६
६५८ के = कौन
७२६ कूड = खोटे
८८ १ | कूडजालेहिं कूट जालों से ७५५ कूडसामली-कूटशाल्मलि - वृक्ष है कूवंतो = आक्रन्दन करता हुआ मैं
क़त्ते के लिए
५६१
५८३
විසල්
५८२
८८४
१०१२
कुहाड=कुठार
कुहेडविजा=असत्य और आश्चर्य उत्पन्न
६८६, १०१० ६८७
वा
करने वाली जो विद्याएँ हैं उनसे ६०७ ६६०, ६६५
कुइयं = कूजित
कुइयसदं = विलास समय का कूजित शब्द
११२६
१११७
८८३
१४
६१३
६०४
८६६
८३१
केइ = कोई एक
केई = कितने एक
केण= किसने
६७५,६७६
८२०
५६६
१०३२, १०३६, १०४३, १०४७,
१०५०, १०५४, १०६४
७०३, ७०५
८३२
५८०
६१३
६०७
६३१ |केपलिपन्नत्ताओ = केवलिप्रणीत ६६७, ६६६,
६७१, ६७३, ६७६, ६७८,६८०, ६८१, ६८२,६८५
६०३
८२८
८६६