Book Title: Uttaradhyayan Sutram Part 02
Author(s): Atmaramji Maharaj, Shiv Muni
Publisher: Jain Shastramala Karyalay

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Page 593
________________ १८] गिद्धे= मूच्छित गिद्धेहि = गृद्धों ने गिद्धो मे = गृद्ध पक्षी की उपमा वाले ६३३ गिरि पर्वत को गिरी = पर्वत गिहत्थाणं = गृहस्थों के समूह गिहिनिसेज = गृहस्थ की शय्या पर गिहिणो= गृहस्थ गिहत्थेसु=गृहस्थों में हिं घर को गिहंसि = घर में गीय - गाने का शब्द गीयं = गीत गुत्तबम्भयारी - गुप्तियों के गुप्त ब्रह्मचारी गुत्तिदिए = गुप्तेन्द्रिय गुत्तीओ=गुप्तियाँ गुत्ती उ= गुप्तियाँ गुत्ती = गुप्तियाँ उत्तराध्ययन सूत्रम् ७१० ६८० गेहं= घर ७१७. ८०७ | गेहे= घर के ७६१ १०१४ गेहस्स= घर का ७६१ ६५२ ११२५ ५८७, ५८६, ६०६ ७१८ | गोमं = गौतम को १०११, १०१६, १०१७, १०३२, १०३६, १०४०, १०४३, २०५४, २०६८ ६६० गोयम = हे गौतम! १०२५, १०४५, १०५६, १०६७ ६७५, ६७६ गोयमा= हे गौतम! १०२५, १०३१, १०३८, ६६०, ६६५ १०४१, १०४६ सेवन से गोयमे= गौतम १००२, १००४, १०१०, १०१३ ६६३, ६६४, ६६५ गोयमो = गौतम ७३६, ६५५, १०१६, १०२०, ६६३, ६६४, ६६५ १०२७, १०३२, १०३६, १०४०, १०४३ १०१२ ८४८ ८४५ गुत्ते = मन, वचन और काया जिसके प् गुत्ते = गोत्र से गुण-गुणों से १०८६ १०७१ १०७१, १०६५ वाले गुणा = गुणों का गुणसमिद्धो- गुणों से समृद्ध गुणगुणों से युक्त आग-गुणों की खान है ८६ | गुरुओ=भारी ८०२ ८२४ | गुरूपरिभावए = गुरुजनों का परिभव करता है ६६३, ६६४, ६६५ गुणवन्ताण= गुणवानों और गुणसमिद्धं = सर्व गुणों से युक्त था उसको गुणोदही- गुणों का समुद्र भी तैरना कठिन है गुणोधारी - गुण समूह के धारण करने ७३६ ११३३ १००५ ७६५ ८०३. गोयमस्स = गौतम के गोयरियं = गोचरी में गोयरं = गोचरी को गोलए = गोला गोलया = गोले गोवालो= गोपाल घणाघातक ने घत्थमि= पसे हुए घयं = धृत घरे-घर में घरं = घर को [ शब्दार्थ- कोषः घ ६०० ७६२, ८०२ | घरणी = गृहिणी घर वाली ६२४ | घोरपरक्कमा = घोर पराक्रम वाले हुए ६१६ | घोरपरक्कमे= घोर पराक्रम वाला ७७४ | घोराओ = अतिरौद्र १९४० ११३६ ६६१ ७२६ ७३ ६०१ २६ २६ ६२८ ६३५ १०६७ ८३७

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