Book Title: Tattvarthadhigam Sutram Part 06
Author(s): Rajshekharsuri, Dharmshekharvijay, Divyashekharvijay
Publisher: Arihant Aradhak Trust
View full book text ________________
20
શ્રી સ્વાધિગમસૂત્ર અધ્યાયअल्पारम्भपरिग्रहत्वं स्वभावमार्दवार्जवं च मानुषस्य ॥६-१८॥ निःशीलव्रतत्वं च सर्वेषाम् ॥६-१९॥ सरागसंयमसंयमासंयमाकामनिर्जराबालतपांसि दैवस्य ॥६-२०॥ योगवक्रता विसंवादनं चाशुभस्य नाम्नः ॥६-२१॥ विपरीतं शुभस्य ॥६-२२॥ दर्शनविशुद्धिविनयसंपन्नता शीलव्रतेष्वनतिचारोऽभीक्ष्णं ज्ञानोपयोगसंवेगौ शक्तितस्त्यागतपसी संघसाधुसमाधिवैयावृत्त्यकरणमर्हदाचार्यबहुश्रुतप्रवचनभक्तिरावश्यकापरिहाणिर्मार्गप्रभावना
प्रवचनवत्सलत्वमिति तीर्थकृत्त्वस्य ॥६-२३॥ परात्मनिन्दाप्रशंसे सदसद्गुणाच्छादनोद्भावने च नीचैर्गोत्रस्य
॥६-२४॥ तद्विपर्ययो नीचैर्वृत्त्यनुत्सेको चोत्तरस्य ॥६-२५॥ विजकरणमन्तरायस्य ॥६-२६॥
Loading... Page Navigation 1 ... 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122