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सुत्तागमे
[ बिहक्कप्प
वा वियाले वा बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ ४६ ॥ नो कप्पइ निग्गन्थीए एगाणियाए राओ वा वियाले वा बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पड़ से अप्पबिइयाए वा अप्पतइयाए वा अप्पचउत्थीए वा राओ वा वियाले वा बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमिं वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ ४७ ॥ कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा पुरत्थिमेणं जाव अङ्गमगहाओ एत्तए, दक्खिणेणं जाव कोसम्बीओ एत्तए, पचत्थिमेणं जाव थूणाविसयाओ एत्तए, उत्तरेणं जाव कुणालाविसयाओ एत्तए; एयावयाव कप्पइ, एयावयाव आरिए खेत्ते; नो से कप्पइ एत्तो बाहिं, तेण परं जत्थ नाणदंसणचरित्ताई उस्सप्पन्ति ॥ ४८ ॥ त्ति बेमि ॥ बिहक्कप्पे पढमो उद्देसओ समत्तो ॥ १ ॥
बिडओ उद्देसओ
उवस्सयस्स अन्तो वगडाए सालीणि वा वीहीणि वा मुग्गाणि वा मासाणि वा तिलाणि वा कुलत्थाणि वा गोहूमाणि वा जवाणि वा जवजवाणि वा ओखि (त्ता)ण्णाणि वा वि ( कि ) क्खिण्णाणि वा विइगिण्णाणि वा विप्पइण्णाणि वा, नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा अहालन्दमवि वत्थए ॥ ४९ ॥ अह पुण एवं जाणेज्जानो ओखिणाई नो विक्खिण्णाई नो विइगिण्णाई नो विप्पइण्णाई, रासिकडाणि वा पुञ्जकाणिवा भित्तिकडाणि वा कुलियकडाणि वा लञ्छियाणि वा मुद्दियाणि वा पिहियाणि वा, कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्धीण वा हेमन्त गिम्हासु वत्थए ॥ ५० ॥ अह पुण एवं जाणेज्जा - नो रासिकडाई नो पुञ्जकडाईं नो भित्तिकडाई नो कुलियकडाई, कोद्वाउत्ताणि वा पलाउत्ताणि वा मचाउत्ताणि वा मालाउत्ताणि वा ओलि - ताणि वा वित्ताणि वा लञ्छियाणि वा मुद्दियाणि वा पिहियाणि वा, कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा वासावासं वत्थए ॥ ५१ ॥ उवस्सयस्स अन्तो वगडाए सुरावियडकुम्भे वा सोवीरयवियडकुम्भे वा उवनिक्खित्ते सिया, नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा अहालन्दमवि वत्थए, हुरत्था य उवस्स्यं पडिलेहमाणे नो लभेजा, एवं से कप्पर एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पर परं एगरायाओ वा दुरायाओ वा वत्थए, जे तत्थ एगरायाओ वा दुरायाओ वा परं व(सइ)सेज्जा, से सन्तरा छेए वा परिहारे वा ॥ ५२ ॥ उवस्सयस्स अन्तो वगडाए. सीओदगविडकुम्भे वा उसिणोदगवियडकुम्भे वा उवनिक्खित्ते सिया, नो कप्पइ निग्गन्थाण वा निग्गन्थीण वा अहालन्दमवि वत्थए, हुरत्था य उवस्सयं पडिलेहमा नो लभेजा, एवं से कप्पइ एगरायं वा दुरायं वा वत्थए, नो से कप्पर परं