Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1229
________________ ११५४ सुत्तागमे [अणुओगदारसुत्तं संखेजए तिविहे पण्णत्ते । तंजहा-जहण्णए १ उक्कोसए २ अजहण्णमणुक्कोसए ३ ॥ से किं तं अणंतए ? अणंतए तिविहे पण्णत्ते । तंजहा-परित्ताणंतए १ जुत्ताणतए २ अणंताणंतए ३ । से किं तं परित्ताणतए ? परित्ताणंतए तिविहे पण्णत्ते। तंजहा-जहण्णए १ उक्कोसए २ अजहण्णमणुक्कोसए ३ । से किं तं जुत्ताणंतए ? जुत्ताणतए तिविहे पण्णत्ते । तंजहा-जहण्णए १ उक्कोसए २ अजहण्णमणुकोसए ३ । से किं तं अणंताणंतए ? अणंताणंतए दुविहे पण्णत्ते । तंजहा--जहण्णए १ अजहण्णमणुकोसए २ । जहण्णयं संखेनयं केवइयं होइ ? दोस्वयं । तेणं परं अजहण्णमणुकोसयाइं ठाणाई जाव उक्कोसयं संखेजयं न पावइ । उकोसयं संखेज्जयं केवइयं होइ ? उक्कोसयस्स संखेजयस्स परूवणं करिस्सामि-से जहानामए पल्ले सिया-एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलससहस्साई दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई अद्धं अंगुलं च किंचि विसेसाहियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते, से णं पल्ले सिद्धत्थयाणं भरिए, तओ णं तेहिं सिद्धत्थएहिं दीवसमुद्दाणं उद्धारो घेप्पइ, एगे दीवे एगे समुद्दे एवं पक्खिप्पमाणेणं पक्खिप्पमाणेणं जावइया दीवसमुद्दा तेहिं सिद्धत्थएहिं अप्फुण्णा एस णं एवइए खेत्ते पल्ले (आइट्ठा) पढमा सलागा, एवइयाणं सलागाणं असंलप्पा लोगा भरिया तहा वि उकोसयं संखेजयं न पावइ । जहा को दिटुंतो ? से जहानामए मंचे सिया आमलगाणं भरिए, तत्थ एगे आमलए पक्खित्ते सेऽवि माए, अण्णेऽवि पक्खित्ते सेऽवि माए, एवं पक्खिप्पमाणेणं पक्खिप्पमाणेणं होही सेऽवि आमलए जंसि पक्खित्ते से मंचए भरिजिहिइ, जे तत्थ आमलए न माहिइ, एवामेव उक्कोसए संखेजए स्वे पक्खित्ते जहण्णयं परित्तासंखेजयं भवइ। तेण परं अजहण्णमणुक्कोसयाइं ठाणाई जाव उकोसयं परित्तासंखेजयं न पावइ । उक्कोसयं परित्तासंखेजयं केवइयं होइ ? जहण्णयं परित्तासंखेज्जयं जहण्णयं परित्तासंखेज्जयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो रूबूणो उक्कोसं परित्तासंखेज्जयं होइ । अहवा जहण्णयं जुत्तासंखेजयं रूकूणं उक्कोसयं परित्तासंखेज्जयं होइ । जहण्णयं जुत्तासंखेनयं केवइयं होइ ? जहण्णयपरित्तासंखेज्जयमेत्ताणं रासीणं अण्णमण्णब्भासो पडिपुण्णो जहण्णयं जुत्तासंखेजयं होइ । अहवा उक्कोसए परित्तासंखेजए स्वं पक्खित्तं जहण्णयं जुत्तासंखेज्जयं होइ । आवलिया वि तत्तिया चेव । तेण परं अजहण्णमणुकोसयाइं ठाणाइं जाव उकोसयं जुत्तासंखेजयं न पावइ । उकोसयं जुत्तासंखेजयं केवइयं होइ ? जहण्णएणं जुत्तासंखेजएणं आवलिया गुणिया अण्णमण्णब्भासो रूवूणो उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ । अहवा जहण्णय असंखेज्जासंखेज्जयं रूवूणं उक्कोसयं जुत्तासंखेज्जयं होइ । जहण्णयं असंखेजासंखेजयं केवइयं

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