Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
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गो० वुट्टीए सइ विही]
पढम परिसिढे
पाणगाइं पडिगाहित्तए, तंजहा-आयामं वा, सोवीरं वा, सुद्धवियडं वा । वासावासं पज्जोसवियस्स वि(कि)गिढभत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, से वि य णं असित्थे नो (चेव) वि य णं ससित्थे । वासावासं पजोसवियस्स भत्तपडियाइक्खियस्स भिक्खुस्स कप्पइ एगे उसिणवियडे पडिगाहित्तए, से वि य णं असित्थे, नो चेव णं ससित्थे, से वि य णं परिपूए, नो चेव णं अपरिपूए, से वि य णं परिमिए, नो चेव णं अपरिमिए, से वि य णं बहुसंपन्ने, नो चेव णं अबहुसंपन्ने ॥ २५ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स संखादत्तियस्स भिक्खुस्स कप्पंति पंच दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहित्तए पंच पाणगस्स, अहवा चत्तारि भोयणस्स पंच पाणगस्स, अहवा पंच भोयणस्स चत्तारि पाणगस्स, तत्थ णं एगा दत्ती लोणासायणमित्तमवि पडिगाहिया सिया कप्पइ से तद्दिवसं तेणेव भत्तटेणं पज्जोसवित्तए, नो से कप्पइ दुञ्चपि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २६ ॥ वासावासं पजोस वियाणं नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा जाव उवस्सयाओ सत्तघरंतरं संखडि संनियटचारिस्स इत्तए, एगे (पुण) एवमाहंसु-नो कप्पइ जाव उवस्सयाओ परेण सत्तघरंतरं संखडिं संनियट्टचारिस्स इत्तए, एगे पुण एवमाहंसुनो कम्पद जाव उवस्सयाओ परंपरेणं संखडिं संनियदृचारिस्स इत्तए ॥ २७ ॥ वासावासं पजोस वियस्स नो कप्पइ पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स कणगफुसियैमित्तमवि बुटिकायंसि निवयमाणंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ २८ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स नो कम्पइ अगिहंसि पिंडवायं पडिगाहित्ता पज्जोसवित्तए, पज्जोसवेमाणस्स सहसा बुटिकाए निवइज्जा देसं भुच्चा देसमादाय से पाणिणा पाणिं परिपिहित्ता उरंसि वा णं निलिजिज्जा, कक्खंसि वा णं समाहडिजा, अहाछन्नाणि वा लेणाणि वा उवागच्छिज्जा, रुक्खमूलाणि वा उवागच्छिजा, जहा से पाणिंसि दए वा दगरए वा दगफुसिया वा नो परियावजइ ॥ २९ ॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पाणिपडिग्गहियस्स भिक्खुस्स जं किंचि कणगफुसियमित्तैपि निवडेइ, नो से कप्पइ गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा ॥ ३०॥ वासावासं पज्जोसवियस्स पडिग्गहधारिस्स भिक्खुस्त नो कप्पइ वग्यारियबुढिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए वा, कप्पइ से अप्पवुट्ठिकायंसि संतरुत्तरसि ॥३१॥ वासावासं पजोसवियस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंड
१ आयामे वा, सोवीरे वा, मुद्धवियडे वा । २ ‘फुसार' । ३ वियारभूमिगमणेऽववाओ।

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