Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
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अ० मा० संलेहणापाठो ]
इयं परिसि
सामाइयस्स सइ अकरणया, सामाइयस्स अणवद्वियस्स करणया, जो मे देवसिओ अश्यारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ ९ ॥ ( दसमं देसावगासियवयंदिणमज्झे गोसा आरब्भ पुव्वाईस छसु दिसासु जावइयं परिमाणं कयं तत्तो अइरित्तं सेच्छा सकाएणं गंतूणं पंचासवासेवणस्स पञ्चक्खाणं, ) जाव अहोरत्तं दुविहं तिविहेणं ण करेमि ण कारवेमि मणसा वयसा कायसा, ( अह य छसु दिसासु जावइयं परिमाणं कयं तम्मज्झेवि जावइया दव्वाईणं मज्जाया तओ अइरित्तस्स aritaatree पक्खाणं, ) जाव अहोरतं एगविहं तिविहेणं ण करेमि मणसा वयसा कायसा, ( एयस्स दसमस्स देसावगा सियवयस्स अहवा बिइयस्स सिक्खा - वयस्स) पंच अइयारा जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं०- (०) आणवणप्पओगे, पेसवणप्पभोगे, सद्दाणुवाए, स्वाणुवाए, बहिया पुग्गलपक्खेवे, जो मे देवसिओ # अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ १० ॥ ( एक्कारसमं पडिपुरणपो सहवयं असणपाणखाइमसाइमपश्चक्खाणं, अबंभपश्चक्खाणं, अमुगमणि सुवण्णपचक्खाणं, मालावण्णगविलेवणपश्चक्खाणं, सत्यमुसलाइ यसावज्जजोगसेवणपच्चक्खाणं, ) जाव अहोरतं पज्जुवासामि, दुविहं तिविहेणं ण करेमि ण कारवेमि माणसा वयसा कायसा, ( एवं मे सद्दहणा परूवणा पोसहावसरे समागए पोसहकरणे फासणाए सुद्धं, एयस्स एकारसमस्स पडिपुण्णपोसहवयस्स अहवा त यस्स सिक्खाक्यस्स ) पंच अइयारा जाणियव्वा ण समाय रियव्वा, तं० - (०) अप्पडिलेहियदुपडिले हियसेज्जासंथारए, अप्पमजियदुप्पमज्जियसेज्जासंथारए, अप्पडिलेहियदुष्पडिले हियउच्चार पासवणभूमी, अप्पमजियदुष्पमज्जियउश्वार पासवणभूमी, पोसहस्स सम्म अणणुपालणया, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥११॥ (बारसमं अतिहिसंविभागवयं -) समणे णिग्गंथे फासूयएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमवत्थ पडिग्गहकंबल पायपुंणेणं पारिहारिय पीढफलगसेज्जासंथारएणं ओसहभेसणं परिलाभेमाणे विहरामि, ( एवं मे सहहणा परूवणा साहुसाहुणीणं जोगे पत्ते फासणाए सुद्धं, एयस्स बारसमस्त अतिहिसंविभागवयस्स अहवा चउत्थस्स सिक्खा यस्स) पंच अइयारा जाणियव्वा ण समायरियव्वा, तं० - (०) सचित्तणिक्वणया, सचित्तपिहणया, कालाइकमे, परववएसे, मच्छरिया (ए) य, जो मे देवसिमो भइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं ॥ १२ ॥
अपच्छिममारणं तियसंलेहणापाढो
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_ r id ! अपच्छिममारणंतियसंलेहणाझूसणाआराहणा (समए पोसहसालं पडि केहिता पमज्जिता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहिता गमणागमणं पडिक्कमित्ता दब्भाइ४ परि०

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