Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
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आ० ६ ]
सुत्तागमे
सहसागारेणं वोसिरामि ॥ १ ॥ पोरिसीपच्चक्खाणं- उग्गए सूरे पोरिसिं पच्चक्खामि, चउव्विर्हपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छण्णकालेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं सव्वसमा हिवत्तियागारेणं वोसिरामि [एवं सद्दृपोरिसियं] ॥ २ ॥ पुरिमडपच्चक्खाणं- उग्गए सूरे पुरिमडुं पच्चक्खामि, चउव्विपि आहारं असणं पाणं साइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पच्छण्णका लेणं दिसामोहेणं साहुवयणेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ३ ॥ एगासण[बेआसण] = पच्चक्खाणं[ उगए सूरे] एगासणं [ बेआसणं] पच्चक्खामि [दुविहं] तिविहंपि आहारं असणं [पाणं] खाइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं [सहसागारेणं] सागारियागारेणं आ[उ]उंटणपसारणेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिबत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ४ ॥ एगट्टाणपञ्चक्खाणं- एगट्ठाणं पच्चक्खामि, चउव्विपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं सागारियागारेणं गुरुअब्भुट्ठाणेणं पारिट्ठावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ५ ॥ आयंबिल पच्चक्खाणं-आयंबिलं पच्चक्खामि, [तिविपि आहारं असणं खाइमं साइमं] अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसा - गारेणं लेवालेवेणं गिहत्थसंसद्वेणं उक्खित्तविवेगेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिबत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ६ ॥ अभत्तट्ठ[चउव्विहाहार] पच्चक्खाणं- उग्गए सूरे अभत्तङ्कं पच्चक्खामि चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिबत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ७१ ॥ अभत्तट्ट[तिविहाहार]पञ्चकखाणं- उग्गए सूरे अभत्तङ्कं पञ्चक्खामि तिविहंपि आहारं असणं खाइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं पारिद्वावणियागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिबत्तियागारेणं पाणस्स लेवेण वा अच्छेण वा बहुलेण वा ससित्थेण वा असित्थेण वा वोसिरामि ॥ ७२ ॥ दिवसचरिम [भवचरिम ] पञ्चक्खाणंदिवसचरिमं [भवचरिमं वा ] पच्चक्खामि, चउव्विहंपि आहारं असणं पाणं खाइम साइमं अण्णत्थणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमा हिवत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ८ ॥ अभिग्गहपश्चक्खाणं- [ उग्गए सूरे गंठिसहियं मुद्रिसहियं ] अभिग्गद्दं पच्चक्खामि, चउव्विपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अण्णत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि ॥ ९ ॥ निव्विगइयपञ्चक्खाणं - [ उ० सू०] निव्विगइयं पच्चक्खामि [च०
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