Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1273
________________ पढमं परिसिडें [कप्पसुत्तं -- वकंतीए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्रते ॥ १५० ॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तिन्नागोवगए यावि हुत्था, तंजहा-चइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे न जाणइ, चुएमित्ति जाणइ, तेणं चेव अभिलावेणं सुविणदंसणविहाणेणं सव्वं जाव नियगं गिहं अणुपविट्ठा जाव सुहंसुहेणं तं गब्भं परिवहइ ॥ १५१ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए जे से हेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले तस्स णं पोसबहुलस्स दसमीपक्खेणं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं विइकंताणं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आरोग्गा(आ)रोग्गं दारयं पयाया ॥ १५२ ॥ जं रयणिं च णं पासे अरहा पुरिसादाणीए जाए (तं रयणि च णं) सा (णं) रयणी बहूहिँ देवेहिं देवीहि य जाव उप्पिंजलगभूया कहकहगभूया यावि हुत्था ॥ १५३ ॥ सेसं तहेव, नवरं जम्मणं पासाभिलावेणं भाणियव्वं जाव तं होउ णं कुमारे पासे नामेणं ॥ १५४ ॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए दक्खे दक्खपइन्ने पडिरूवे अल्लीणे भद्दए विणीए तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता पुणरवि लोगंतिएहिं जीयकप्पिएहिं देवेहिं ताहिं इट्ठाहिं जाव एवं वयासी-जय जय नन्दा!, जय जय भद्दा ! जाव जयजयसई पउंजंति ॥ १५५-१५६ ॥ पुट्विं पिणं पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स माणुस्सगाओ गिहत्थधम्माओ अणुत्तरे आहोइए तं चेव सव्यं जाव दाणं दाइयाणं परिभाइत्ता जे से हेमंताणं दुच्चे मासे तच्चे पक्खे पोसबहुले तस्स णं पोसबहुलस्स इक्कारसीदिवसेणं पुव्वण्हकालसमयंसि विसालाए सि(वि)वियाए सदेवमणुयामुराए परिसाए तं चेव सव्वं नवरं वाणारसिं नगरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ २ ता जेणेव आसमपए उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ २ त्ता असोगवरपायवस्स अहे सीयं ठावेइ २ त्ता सीयाओ पच्चोरुहइ २ त्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ २ त्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ २ त्ता अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं एगं देवदूसमादाय तिहिं पुरिससएहिं सद्धिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए ॥ १५७ ॥ पासे णं अरहा पुरिसादाणीए तेसीइं राइंदियाइं निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केइ उवसग्गा उप्पजंति, तंजहादिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा ते उप्पने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियासेइ ॥ १५८ ॥ तए णं से पासे भगवं अणगारे जाए इरियासमिए जाव अप्पाणं भावेमाणस्स तेसीइं राइंदियाइं विइकंताई, चउरा १ पहुंसि गब्भत्थे सइ सयणिज्जत्थाए माऊए पासे सप्पतो कण्हसप्पो दिट्ठो, तेण 'पासे' त्ति नाम कयं ।

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