Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti
View full book text
________________
पासजिणं तरं]
पढम परिसिटुं
२७
सीइ(मे)मस्स राइंदि(ए)यस्स अंतरा वट्टमा(णे)णस्स जे से गिम्हाणं पढमे मासे पढमे पक्खे चित्तबहुले तस्स णं चित्तबहुलस्स चउत्थीपक्खेणं पुव्वण्हकालसमयंसि धाय(ई)इपायवस्स अहे छठेणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणंते जाव जाणमाणे पासमाणे विहरइ ॥ १५९ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अट्ठ गणा अट्ट गणहरा हुत्था, तंजहा-सुभे १ य अजघोसे २ य, वसिढे ३ बंभयारि ४ य । सोमे ५ सिरिहरे ६ चेव, वीरभद्दे ७ जसे वि य ८ ॥ १ ॥ १६० ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अजदिन्नपामुक्खाओ सोलस समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया हुत्था॥१६१॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स पुप्फचूलापामुक्खाओ अट्ठत्तीसं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया हुत्था ॥ १६२ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स सुव्वयपामुक्खाणं समणोवासगाणं एगा सयसाहस्सी[ओ] चउसद्धिं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवास(ग)गाणं संपया हुत्था ॥ १६३ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स सुनंदापामुक्खाणं समणोवासियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ सत्तावीसं च सहस्सा उक्कोसिया समणोवासियाणं संपया हुत्था ॥ १६४ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स अद्भुट्ठसया चउद्दसपुव्वीणं अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवाईणं जाव चउद्दसपुव्वीणं संपया हुत्था ॥ १६५ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स चउद्दस सया ओहिनाणीणं, दस सया केवलनाणीणं, ए(इ)कारस सया वेउ(ब्बिया)वीणं, छस्सया रिउमईणं, दस समणसया सिद्धा, वीसं अजियासया सिद्धा, अट्ठ-म-सया विउलमईणं, छ(स)सया वाईणं, बारस सया अणुत्तरोववाइयाणं ॥ १६६ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तंजहा-जुगंतकडभूमी य परियायतकडभूमी य, जाव चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकडभूमी, तिवासपरियाए अंतमकासी ॥ १६७ ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता तेसीइं राइंदियाई छउमत्थपरियायं पाउणित्ता देसूणाई सत्तरि वासाइं केवलिपरियायं पाउणित्ता परिपुन्नाइं सत्तरि वासाई सामण्णपरियायं पाउणित्ता एकं वाससयं सव्वाउयं पालइत्ता खीणे वेय णिज्जाउयनामगुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइक्वंताए जे से वासाणं पढमे मासे दुच्चे पक्खे सावणसुद्धे तस्स णं सावणसुद्धस्स अट्ठमीपक्खेणं उम्पि सम्मेयसेलसिहरंसि अपचउत्तीसइमे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं विसाहाहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं पुव्व(रत्तावरत्त)हकालसमयंसि वग्घारियपाणी कालगए विइकंते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १६८॥ पासस्स णं अरहओ जाव

Page Navigation
1 ... 1272 1273 1274 1275 1276 1277 1278 1279 1280 1281 1282 1283 1284 1285 1286 1287 1288 1289 1290 1291 1292 1293 1294 1295 1296 1297 1298 1299 1300