Book Title: Suttagame 02
Author(s): Fulchand Maharaj
Publisher: Sutragam Prakashan Samiti

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Page 1253
________________ पढम परिसिहूँ [कप्पसुत्तं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छीओ खत्तियकुंडग्गामे नयरे नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कासवगुत्तस्स भारियाए तिसलाए खत्तियाणीए वासिट्ठसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि, जे वि य णं से तिसलाए खत्तियाणीए गब्भे तं पि य णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहराहि साहरित्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पञ्चप्पिणाहि ॥ २५ ॥ तए णं से हरिणेगमेसी अग्गाणीयाहिवई देवे सक्केणं देविदेणं देवरन्ना एवं वुत्ते समाणे हठ्ठतुट्ट जाव हियए करयल जाव त्तिकद्दु एवं जं देवो आणवेइत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ २ त्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमइ २ त्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ २ त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २ त्ता संखिजाइं जोयणाई दंडं निसिरइ, तंजहा-रयणाणं वइराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलयाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं अंजणाणं अंजणपुलयाणं जायरूवाणं सुभगाणं अंकाणं फलिहाणं रिहाणं, अहाबायरे पुग्गले परिसाडेइ २ त्ता अहासुहुमे पुग्गले परिया(ए)दियइ २ ता दुचपि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणइ २ ता उत्तरवेउव्वियरूवं विउव्वइ २ ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए ज(य)इणाए उद्धृयाए सिग्घाए दिव्याए देवगईए वीइवयमाणे २ तिरियमसंखिजाणं दीवसमुद्दाणं मज्झमझेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव उसभदत्तस्स माहणस्स गिहे जेणेव देवाणंदा माहणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता आलोए समणस्स भगवओ महावीरस्स पणामं करेइ २ त्ता देवाणंदाए माहणीए सपरिजणाए ओसोवर्णि दलइ २ त्ता असुभे पुग्गले अवहरइ २ त्ता सुभे पुग्गले पक्खिवइ २ ता अणुजाणउ मे भ(य)गवंतिकट्ठ समणं भगवं महावीरं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं दिव्वेणं पहावेणं करयलसंपुडेणं गिण्हइ २ ता जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे जेणेव सिद्धत्थस्स खत्तियस्स गिहे जेणेव तिसला खत्तियाणी तेणेव उवागच्छइ २ त्ता तिसलाए खत्तियाणीए सपरिजणाए ओसोवर्णि दलइ २ त्ता असुभे पुग्गले अवहरइ २ त्ता सुमे पुग्गले पक्खिवइ २ त्ता समणं भगवं महावीरं अव्वाबाहं अव्वाबाहेणं तिसलाए खत्तियाणीए कुच्छिसि गब्भत्ताए साहरइ (२ त्ता), जे वि य णं से तिसलाए खत्तियाणीए गन्भे तं पि य णं देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुञ्छिसि गब्भत्ताए साहरइ २ त्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए ॥२६-२७॥ ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जवणाए उद्धृयाए सिग्घाए दिव्वाए देवगईए तिरियमसंखिजाणं दीवसमुदाणं मज्झमज्झेणं जोयणसाहस्सिएहिं विग्गहेहिं

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