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सुत्तागमे
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[णिसीहसुत्तं जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वा णहमलं वा णीहरेज वा विसोहेज वा णीहरेंतं वा विसोहेंतं वा साइजइ ॥ ७०८॥ जे भिक्खू अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा कायाओ सेयं वा जल्लं वा पंकं वा मलं वा णीहरेज वा विसोहेज वा णीहरेंतं वा विसोहेंतं वा साइज्जइ ॥ ७०९ ॥ जे भिक्खू गामाणुगामं दूइजमाणे अण्णउत्थियस्स वा गारत्थियस्स वा सीसदुवारियं करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ७१० ॥ जे भिक्खू अप्पाणं बीभावेइ बीभावेंतं वा साइजइ ॥ ७११ ॥ जे भिक्खू परं बीभावेइ बीभावेंतं वा साइज्जइ ॥ ७१२ ॥ जे भिक्खू अप्पाणं विम्हावेइ विम्हावेंतं वा साइजइ ॥ ७१३ ॥ जे भिक्खू परं विम्हावेइ विम्हावेंतं वा साइजइ ॥ ७१४ ॥ जे भिक्खू अप्पाणं विप्परियासेइ विप्परियासेंतं वा साइजइ ॥ ७१५ ॥ जे भिक्खू परं विप्परियासेइ विप्परियासेंतं वा साइजइ ॥ ७१६ ॥ जे भिक्खू मुहवण्णं करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ७१७ ॥ जे भिक्खू वेरजविरुद्धरजंसि सजं गमणं सजं आगमणं सजं गमणागमणं करेइ करेंतं वा साइजइ ॥ ७१८ ॥ जे भिक्खू दियाभोयणस्स अवण्णं वयइ वयंतं वा साइजइ ॥ ७१९ ॥ जे भिक्खू राइभोयणस्स वण्णं वयइ वयंतं वा साइजइ ॥ ७२० ॥ जे भिक्खू दिया असणं वा ४ पडिग्गाहेत्ता दिया भुंजइ भुजंतं वा साइजइ ॥ ७२१॥ जे भिक्खू दिया असणं वा ४ पडिग्गाहेत्ता रत्तिं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥ ७२२॥ जे भिक्खू रत्तिं असणं वा ४ पडिग्गाहेत्ता दिया भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥ ७२३॥ जे भिक्खू रत्तिं असणं वा ४ पडिग्गाहेत्ता रत्तिं भुंजइ. ॥ ७२४ ॥जे भिक्खू असणं वा ४ परिवासेइ परिवासेंतं वा साइजइ ॥ ७२५॥ जे भिक्खू परिवासियस्सै असणस्स वा ४ तयप्पमाणं वा भूइप्पमाणं वा बिंदुप्पमाणं वा आहारं आहारेइ आहारेंतं वा साइजइ ॥ ७२६॥ जे भिक्खू आहेणं वा पहेणं वा संमेलं वा हिंगोलं वा अण्णयरं वा तहप्पगारं विरूवरूवं हीरमाणं पेहाए ताए आसाए ताए पिवासाए तं रयर्णि अण्णत्थ उवाइणावेइ उवाइणावेंतं वा साइजइ ॥ ७२७ ॥ जे भिक्खू णिवेयणपिंडं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥ ७२८ ॥ जे भिक्खू अहाछंदं पसंसइ पसंसंतं वा साइज्जइ ॥ ७२९ ॥ जे भिक्खू अहाछंदं वंदइ वंदंतं वा साइज्जइ ॥ ७३० ॥ जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासगं वा अणुवासगं वा अणलं पव्वावेइ पव्वावेंतं वा साइजइ ॥ ७३१ ॥ जे भिक्खू णायगं वा अणायगं वा उवासगं वा अणुवासगं वा अगलं उवट्ठावेइ उवट्ठावेंतं वा साइज्जइ ॥ ७३२ ॥ जे भिक्खू अणलेणं वेयावच्चं
१ दिया घेत्तुं निसिं संवासेतुं तं बिइयदिणे भुंजमाणस्स पढमभंगो भवइ । २ अकारणं-...णण्णत्थ आगाढेहिं रोगायंकेहिं ति बिहक्कप्पे ।