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नयज्ञान की मोक्षमार्ग में उपयोगिता) भूतार्थ है-सत्यार्थ है, तथापि पुद्गल से किंचित् मात्र भी स्पर्शित न होने योग्य आत्मस्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर बद्धस्पृष्टता अभूतार्थ है। जैसे मिट्टी का, ढक्कन, घड़ा, झारी इत्यादि पर्यायों से अनुभव करने पर अन्यत्व भूतार्थ है-सत्यार्थ है, तथापि सर्वत: अस्खलित सर्वपर्याय भेदों से किंचित् मात्र भी भेदरूप न होने वाले ऐसे एक मिट्टी के स्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर अन्यत्व अभूतार्थ है-असत्यार्थ है। इसी प्रकार आत्मा का, नारक आदि पर्यायों से अनुभव करने पर पर्यायों के अन्य-अन्य रूप से अन्यत्व भूतार्थ है- सत्यार्थ है, तथापि सर्वत: अस्खलित सर्व पर्यायभेदों से किंचित् मात्र भेदरूप न होने वाले एक चैतन्याकार आत्मस्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर अन्यत्व अभूतार्थ है-असत्यार्थ है। ___ जैसे समुद्र का,वृद्धिहानिरूप अवस्था से अनुभव करने पर अनियतता अनिश्चितता भूतार्थ है-सत्यार्थ है, तथापि नित्य-स्थिर समुद्रस्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर अनियतता अभूतार्थ है - असत्यार्थ है। इसीप्रकार आत्मा का, वृद्धिहानिरूप पर्यायभेदों के अनुभव करने पर अनियतता भूतार्थ है-सत्यार्थ है, तथापि नित्य-स्थिर निश्चय आत्मस्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर अनियतता अभूतार्थ है-असत्यार्थ है।
जैसे सोने का, चिकनापन, पीलापन, भारीपन इत्यादि गुणरूप भेदों से अनुभव करने पर विशेषता भूतार्थ है-सत्यार्थ है, तथापि जिसमें सर्व विशेष विलय हो गये हैं, ऐसे सुवर्ण स्वभाव के समीप जाकर अनुभव
करने पर विशेषता अभूतार्थ है-असत्यार्थ है। इसीप्रकार आत्मा का, • ज्ञान, दर्शन आदि गुणरूप भेदों से अनुभव करने पर विशेषता भूतार्थ
है-सत्यार्थ है, तथापि जिसमें सर्वविशेष विलय हो गये हैं ऐसे आत्मस्वभाव के समीप जाकर अनुभव करने पर विशेषता अभूतार्थ-असत्यार्थ है।
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