Book Title: Sukhi Hone ka Upay Part 5
Author(s): Nemichand Patni
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 243
________________ २५८) (सुखी होने का उपाय भाग - ५ ३०. ५६ ३१. ५७ ३२. ५८-६१ ३३. ५९ ३४. ६३ ६४ से ६७ ३६. ६८ ३७. ७० ३८. ७१ ३९. ७३ ४०. ७३ ४१. ७४ ४२. ७५ द्रव्य स्वभाव प्रकाशक नयचक्र गाथा १८२ डॉ. भारिल्ल कृत परमभाव प्रकाशक नयचक्र पृष्ठ ३६-३७ बृहद् द्रव्य संग्रह गाथा ५७ द्रव्य स्वभाव प्रकाशक नयचक्र गाथा १८२ पू. कानजीस्वामी के गाथा ९२ के प्रवचन रत्नाकर भाग १ पृष्ठ १५७ डॉ. भारिल्ल कृत परमभाव प्रकाशक नयचक्र पृष्ठ ३९ से ४२ आलाप पद्धति एवं समयसार आत्म ख्याति टीका तत्त्वार्थ राजवार्तिक अ.१ सूत्र ३३ परीक्षामुख सूत्र १ सुखी होने का उपाय भाग ३ का 'मेरी आत्मा अरहन्त के समान है प्रवचनसार गाथा ८० की टीका एवं भावार्थ द्रव्य संग्रह गाथा ४७ पद्मननि पञ्चविंशतिका में षट्कर्म परीक्षामुख अ.४ सूत्र १ प्रवचनसार गाथा ५८. परीक्षामुख परि.२ सूत्र ३ राजवार्तिक ३-१ सूत्र ३३ द्रव्य स्वभाव प्रकाशक नयचक्र गाथा १७१ प्रवचनसार गाथा ८७ प्रवचनसार गाथा २३२-२३३ आलाप पद्धति सूत्र १८१. १८४- १९१- २१२. २१३- २१४२०४- २०५. २११ प्रवचनसार गाथा ११४ परमभाव प्रकाशक नयचक्र पृष्ठ ४१ परमभाव प्रकाशक नयचक्र पृष्ठ ५४-५५ पञ्चास्तिकाय गाथा ११-१२-१३ मोक्षमार्ग प्रकाशक पृष्ठ २५८ समयसार गाथा ५ प्रवचनसार गाथा ९३ प्रवचनसार गाथा २३२ प्रवचनसार गाथा २३२ पुरुषार्थ सिद्धयुपाय श्लोक ६ समयसार गाथा ३१ ५२. ८६ ५३. ८६ से ९१ ५४. ९३ ५५. ९६ ५६. ९६ ५७. ९७ ५८. ९७ ५९. ९८ ६०. ९९-१०० ६१. १०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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