Book Title: Subodhi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 16
________________ ( १५ ) सोचना चाहिये, अपनी दिशा जान लेना चाहिये और दिशा जान कर उस दिशा में शक्ति अनुसार चलने लगना चाहिये, यही सच्चा सुख पाने का उपाय है । इस उपाय की सिद्धि तभी हो सकेगी, जब कि हम उन महात्माओं का -- जिन्होंने इसकी सिद्धि करती है, अथवा जो इसकी सिद्धि के मार्ग में लगे हुए हैं - शरण लेवें, उनके ही मार्ग में ( धर्म में ) प्रवर्ते, उन्हीं के द्वारा कहे गये शास्त्रों का अध्ययन वा मनन करें, क्योंकि जिसको जहां जाना है, उसको उसी मार्ग में जाने वालों का साथ करना चाहिये, उन्हीं की शिक्षाओं पर चलना चाहिये । तात्पर्य - उन से अनन्यभाव से मिल नाना चाहिये । इस लिये हमको अब यह जानने की आवश्यकता होगी, कि वे महात्मा कौन व कैसे हैं कि जिनका शरण लेने से हम भी उन्हीं के जैसे बन सकते हैं ? उत्तर (१) अर्हन्त देव, (२) इन्हीं के द्वारा कहा गयो उपदेश [ शास्त्र ] और [३] निर्मन्थ साधु मुनि गुरु । इन तीनों की सामान्य पहिचान तो यह है, कि इनमें यथा संभव अहिंसा तत्त्व [ Non injurys] अर्थात् वीतराग विज्ञानता पाई जानी चाहिये, अर्थात् जहाँ [जिनमें ] अहिंसा [ वीतराग विज्ञानता ] पूर्ण रूप से पाई जावे, वही देव अर्हन्त हैं, जिन उपदेशों या ग्रन्थों में इसका यथार्थ वर्णन होवे, वहीं शास्त्र या आगम है और जिन महात्मानों में इसकी ' पूर्णता तो नहीं हो पाई है, किन्तु वे इसकी पूर्ति के प्रयत्न में लग रहे हैं और कितनेक अंशों में सफल भी हो गए हैं, शेष अंश शीघ्र . ही पूर्ण होने वाले हैं, वे ही सच्चे साधु या गुरु हैं । तात्पर्य -

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