Book Title: Subodhi Darpan
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 82
________________ , . . श्राऋषभत्र चर्याश्रम ( दिगम्बर जैन गुरुकुल ) चौरासी, मधुरा । . ... . . .. . . . .. यही एक ऐसी सामाजिक संस्था है, जो प्रायमरी पास बालकों को प्रविष्ट करके कम से कम र वर्ष की अवस्था तक रखकर उनको सु: संस्कारी, स्वावलम्बी उच्च कोटि के धार्मिक मार्मिक विद्वान बनाती है। इसमें धार्मिक क्रिया कारठ के साथ उच्च कोटि की धर्म शिक्षा तो दी ही जाती है, किन्तु साथ ही न्याय, व्याकरण, साहित्य, गणित, भूगोज, अंग्रेजी भादि व्यावहारिक शिक्षा के साथ प्रौद्योगिक शिक्षा भी (जैसे कपड़ा, दरी, निवार, फीता, गलींचा आदि चुनना और प्रत्येक प्रकार का कपड़ा सीना आदि ) दोजाती हैं । अतएव प्रत्येक जैनी को अपने होनहार तीषण बुद्धि के बालक प्रविष्ट कराकर लाभ उठाना चाहिये, तथा प्रत्येक माँगलीक प्रसंगों व पर्वो पर सदैव इसकी सहायता करते और कराते रहना चाहिए और यथावसर इसका निरीक्षण परीक्षण करके अपनी शुभ सम्मति देकर इसे विशेष उन्नत बनाना चाहिए। . . . . . . . .. मन्त्री श्रीऋषम ब्रह्मचर्याश्रम, गुरुकुल, चौरासी, मधुर "..

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